किसान आंदोलन की आड़ में लगातार देश के कानून को चुनौती देने का काम किया जा रहा है। पहले धर्म की आड़ लेकर लाल किले पर धर्म विशेष की ध्वजा को फहराया गया और अब पवित्र ग्रंथ की बेअदबी को लेकर एक व्यक्ति का हाथ काट कर उसे सिंधु बॉर्डर के बैरिकेड पर लटका दिया गया। इस निर्मम हत्या को देखने के बावजूद अभी तक न तो सरकार की ओर से कोई बड़ा कदम उठाया गया है और ना ही संयुक्त किसान मोर्चा ने इस मामले की जिम्मेदारी ली है। हाथरस और लखीमपुर खीरी पर छाती पीट पीट कर रोने वाले विपक्ष के नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह सिंधु बॉर्डर पर हुई इस घटना पर मौन साध कर बैठे हैं।
किसानों के बड़े आंदोलनस्थलों में से एक सिंघु बॉर्डर पर किसानों के मंच के पास शुक्रवार को एक व्यक्ति की बेरहमी से हत्या करने का मामला सामने आया था। जानकारी के मुताबिक किसानों के मंच के पास एक युवक की बेरहमी से हत्या के बाद एक हाथ काटकर शव बैरिकेड से लटका दिया गया है। आपकाें बता दें कि यह घटना गुरुवार रात हुई है। बेहरहमी की हदे ताे तब पार हाे गई जब युवक के शव को 100 मीटर तक घसीटा गया।
किसान नेताओं ने नहीं ली जिम्मेदारी
किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने शुक्रवार को कहा कि हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस घटना के दोनों पक्षों, निहंग गुट और मृतकों का एसकेएम से कोई लेना-देना नहीं है। मोर्चा किसी भी धर्म और प्रतीक की बेअदबी के खिलाफ है। किसान नेता ने कहा कि मोर्चा को धार्मिक मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है, यह साजिश लग रही है, इसकी जांच होनी चाहिए। दल्लेवाल ने कहा कि जब हम मौके पर पहुंचे तो कुछ लोग कह रहे थे कि मृतक (लखबीर सिंह) ने मरने से पहले स्वीकार किया था कि उसे किसी ने भेजा है और 30 हजार रुपये दिए हैं। मेरे पास इसका वीडियो प्रूफ नहीं है। सरकार को इस मामले की गहनता से जांच करनी चाहिए।
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दलित नेताओं ने भी नहीं मांगा इंसाफ
बताया जा रहा है कि मृतक की पहचान पंजाब के तरनतारन जिले के चीमा खुर्द गांव निवासी लखबीर सिंह (35 वर्ष) के रूप में हुई है। पेशे से मजदूर लखबीर अनुसूचित जाति का था। लेकिन इसके बावजूद देश का कोई दलित नेता उस व्यक्ति के इंसाफ की मांग को लेकर सड़क पर सामने नहीं आया। चंद्रशेखर आजाद जो दलितों के सबसे बड़े मसीहा हैं वह भी इस घटना पर कहीं सामने नहीं आए हैं।