वर्तमान प्रदूषित वातावरण में स्वयं को तथा अपने शरीर के अंगों को सुरक्षित और शुद्ध रखना सबसे बड़ी चुनौती है। आज के समय का खानपान और आज के समय के बाद आवरण में फैली अशुद्धि मनुष्य की उम्र को कम करती जा रही है और उसके शरीर को बीमारियों का घर बनाती जा रही है।ऐसे समय अब अपने जीवन को बचाने के लिए केवल हमारे पास एक ही विकल्प है वह है योगासन और शारीरिक संयम।यदि हमें अपने शरीर को बचाना है तो प्रतिदिन योगासन करना होगा अन्यथा हमारा शरीर भी बीमारियों का घर बनता चला जाएगा। अगर हमें अपनी फेफड़ों को इन अशुद्धियों से बचाना है तो निम्न प्राणायाम करने होंगे:
भस्त्रिका प्राणायाम
यह एक ऐसा प्राणायाम होता है जिसमें भस्त्रिका का अधिक उपयोग होता है।इस प्राणायाम में जल्दी-जल्दी सांस लेनी होती है और तुरंत ही अशुद्ध वायु छोड़नी होती है।जिससे हमारे पेट की चर्बी कम होती है और फेफड़ों को मजबूती मिलती है।
कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम का नाम कौन नहीं जानता है? योग गुरु बाबा रामदेव का यह फेमस प्राणायाम है। इस प्राणायाम को भी जल्दी जल्दी करना होता है। इसमें भी सांस को जल्दी खींचना और जल्दी छोड़ना होता है। इससे मन को शांति मिलती है रक्त शुद्ध होता है और रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम
अनुलोम विलोम प्राणायाम में नाक के एक छिद्र से सांस खींची जाती है और दूसरे से निकाली जाती है। यह पूरा आसन इसी प्रक्रिया को दोहराने का नाम है। यदि आप प्रतिदिन यह योग करते हैं तो आप के फेफड़े मजबूत होंगे तथा आपकी नाड़ी शुद्ध हो जाएगी।
अग्निसार क्रिया
इस प्रक्रिया के द्वारा शरीर के उन विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर कर दिया जाता है जिनका शरीर में उपयोग नहीं और वे शरीर के लिए हानिकारक होते हैं। इस प्राणायाम के द्वारा आपका इम्यून सिस्टम बहुत मजबूत हो जाता है।