यूपी की सियासत के केंद्र में ब्राह्मण, अयोध्या मथुरा और काशी के सहारे ब्राह्मण तक पहुंचना चाहती है बीजेपी

उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने के लिए भारतीय जनता पार्टी लगातार प्रयास कर रही है। इसके लिए पार्टी ने एक समिति का भी गठन किया है जिसका अध्यक्ष शिव प्रताप शुक्ला को बनाया गया है।

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उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को अपनी ओर करने के लिए भारतीय जनता पार्टी एड़ी चोटी का जोर लगा रही  है। विकास दुबे कांड के बाद जिस तरह से प्रदेश में ब्राह्मणों के उत्पीड़न का मुद्दा विपक्षी पार्टियों ने उठाया है उससे यह साफ होता है कि कहीं ना कहीं ब्राह्मण भारतीय जनता पार्टी से रुष्ट हो रहे हैं। इसीलिए ब्राह्मणों को अपने पाले में करने हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की इनके द्वारा पूरे चुनाव को अयोध्या, मथुरा और काशी पर केंद्रित करने की कोशिश की जा रही है।

ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करना सबसे ज़रूरी

केंद्रीय मंत्री और यूपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के साथ रविवार को हुई ब्राह्मण नेताओं की बैठक के बाद सोमवार को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ नेताओं की मुलाकात हुई। नड्डा के साथ बैठक के दौरान इस समुदाय से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। बताया जा रहा है कि इस बैठक को बुलाने का मकसद यह था कि यूपी में ब्राह्मण वर्ग की नाराजगी को कैसे दूर किया जाए। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी ब्राह्मण नेता अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर ब्राह्मण वर्ग के प्रतिष्ठित लोगों से मिलेंगे और जनता को भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार के ब्राह्मणों के लिए किए गए कार्यों की जानकारी देंगे।

ब्राह्मणों को मनाने हेतु समिति का गठन

भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा के मुख्य सचेतक शिव प्रताप शुक्ला की अध्यक्षता में ब्राह्मणों को एक बार फिर मनाने के लिए एक समिति का गठन किया है। इस समिति में पूर्व राष्ट्रीय सचिव अभिजीत मिश्रा,  गुजरात के सांसद राम भाई मौका रिया और महेश शर्मा शामिल है। सभी लोग ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं प्रधानों से मिलकर उनके मुद्दों को समझने की कोशिश करेंगे। सबसे प्रमुख बात यह है कि इस समिति का अध्यक्ष शिव प्रताप शुक्ला को बनाया गया है  जबकि वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरोधी माने जाते हैं। वे लगातार चार बार 1989,1991,1993 और 1996 में विधायक और यूपी में मंत्री भी रहे हैं। कहा जाता है कि 2002 के विधानसभा चुनाव में योगी ने उन्हें चुनाव हराने के लिए उनके खिलाफ अपना प्रत्याशी खड़ा किया था।

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