कई दिनों से बिहार और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर तथा गंगा नदी के किनारे लाशें बहती हुई दिखाई दे रही है। कुछ समय पहले ही यह बात सामने आई थी कि कुछ लोग संक्रमण के डर से अपने मरे हुए परिजनों को गंगा नदी के किनारे ही दफन कर रहे हैं। किसी भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं कि अपने जिलों में शवों का उचित तरीके से अंतिम संस्कार कराया जाए। किसी भी डेड बॉडी को नदी के जल में प्रवाहित नहीं करने दिया जाएगा। सरकार ने अति निर्धन, निराश्रित परिवारों तथा परिवारीजनों द्वारा अंतिम संस्कार में सहयोग नहीं कर पाने की दशा में शवों के अंतिम संस्कार में 5000 रुपये खर्च करने का आदेश पहले ही जारी किया है। यह खर्च राज्य वित्त आयोग की धनराशि से करने के आदेश हैं।
अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार सिंह के द्वारा प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को एक पत्र लिखा गया है। जिसमे उन्होंने लिखा है कि शवों का अंतिम संस्कार ना करके जल में प्रवाहित करने के प्रमुख कारणों में अंतिम संस्कार के लिए धन का अभाव, पंथ व परंपरा तथा कोविड से मृत व्यक्ति के शव को संक्रमण के डर से छोड़ देना है। उन्होंने यह भी लिखा है कि शासन स्तर से निर्धन परिवारों तथा कोविड-19 से मृत्यु की दशा में शवों के अंतिम संस्कार के लिए जब पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराई गई है तो कोई कारण नहीं बनता है कि शवों के अंतिम संस्कार की जगह नदियों में प्रवाहित किया जाए। पंथ व परंपरा के प्रकरण में भी संबंधित को शव को जल में प्रवाहित करने से होने वाले दुष्प्रभावों को समझाते हुए शवों की अंत्येष्टि की जानी चाहिए। किसी भी दशा में शव किसी नदी में प्रवाहित नहीं किए जाने चाहिए।
ग्राम प्रधान भी संभाले व्यवस्था
नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों से कहा है कि वह अपने क्षेत्र में यह सुनिश्चित करें कि शासन द्वारा अंतिम संस्कार के लिए अनुमन्य धनराशि का पूरा उपयोग हो। जिलाधिकारियों से कहा है कि वह शासनादेशों में अनुमन्य कराई गई धनराशि के व्यय की नियमित समीक्षा करें और हर सप्ताह इसकी सूचना निदेशक पंचायती राज को उपलब्ध कराएं।