पूरे विश्व के वैज्ञानिक इस समय कोरोनावायरस की वैक्सीन बनाने की कोशिश में जुटे हुए है, लेकिन अभी तक इस जानलेवा बीमारी का कोई कारगर ईलाज नहीं मिल पाया है। भारत समेत कई देशों में तरह-तरह की दवाइयों के जरिए कोरोनावायरस के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इसी दौरान भारत, बांग्लादेश और जापान के डॉक्टर्स कोरोना के मरीजों को आईवरमैक्टीन (Ivermectin) दवा दे रहे है। अच्छी बात ये है कि इससे बेहद ही चौंकाने वाले और सकारात्मक नतीजे अभी तक देखने को मिले है।
आईवरमैक्टीन (Ivermectin) एक एंटीवायरल दवा है जिसे आम तौर पर डी-वर्मिंग (De-worming) दवाई के नाम से भी जाना जाता है। यह दवा पेट के कीड़े मारने के लिए मरीज को दी जाती है और इसका कोई खास साइड इफेक्ट भी देखने को नहीं मिलता है। एक और अच्छी बात ये है कि ये दवा बेहद ही सस्ती है और भारत में बड़ी मात्रा में उपलब्ध भी है। यह दवाई बांग्लादेश में कोरोना के 60 मरीज़ को दी गई और दवा देने के मात्र 48 घंटे बाद ही उन सभी 60 मरीजों की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
भारत में भी दिल्ली, कानपुर और केरल जैसे शहरों में डॉक्टर्स इस दवाई का प्रयोग कर रहे है। कानपुर के एक अस्पताल में 104 कोरोना मरीज़ो को यही दवाई दी गई। उन सभी मरीजों का 4 दिन के बात कोरोना टेस्ट किया गया और उनमें से 94 मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। इस विकट परिस्थिति में ये आकड़े एक खुशी की लहर के समान दिखाई दे रहे है। मोनाश यूनिवर्सिटी आस्ट्रेलिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह दवाई 48 घंटो के भीतर ही कोरोनावायरस का आरएनए 93 प्रतिशत तक कमजोर कर देती है।