भाप है फेफड़ों का सैनिटाइज़र, इस तरह इस्तेमाल करने पर नहीं होगा कोरोना संक्रमण

देश में बढ़ती हुई कोरोना महामारी पूरे सिस्टम के लिए एक सबक बन चुकी है। सभी राज्य सरकार नए नए नियम बनाकर संक्रमण को काबू पाने की तैयारी कर रही हैं लेकिन केवल असफलता ही हाथ लग रही है। लेकिन आपको बता दें कि कुछ डॉक्टर्स का मानना है कि भाप फेफड़ों के लिए सैनिटाइजर का काम करती है। यदि आप दिन में दो-तीन बार भाग लेते हैं तो कोरोना संक्रमण आपको नहीं होगा।

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प्रतीकात्मक चित्र

संक्रमण महामारी आज पूरे देश के लिए एक घातक विषय बन चुकी है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोगों की मौत इसी संक्रमण के कारण हो रही है। पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि वैक्सीन के बन जाने के बाद यह संक्रमण कम हो जाएगा लेकिन अब देखा जा रहा है कि वैक्सीन लगवाने के बावजूद लोगों को संक्रमण हो रहा है। ऐसे में सभी के दिमाग में यह सवाल उठ रहा है कि अगर व्यक्ति ने संक्रमण को नहीं रोक पाएगी तो फिर इस बीमारी को कैसे रोका जाएगा? कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि लोग एक दिन में तीन से चार बार भाप का प्रयोग करें तो यह संक्रमण नहीं होगा।

थर्मल इनएक्टीवेशन आफ सोर्स कोविड वायरस पर किया गया शोध मरीजों के लिए उम्मीद जगाने वाला है। इसमें भाप को कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने का कारगर उपचार माना गया है। यह शोध “जर्नल आफ लाइफ साइंस” में प्रकाशित है। इस शोध में चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) व संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विंज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के विशेषज्ञों ने भाप को फेफड़ों का सैनिटाइजर बताया है। शोध में बताया गया है कि 1 दिन में 2 से 5 मिनट तक भाप लेने से कोरोना संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है।

एसीजीपीजीआइ में माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्ष डा. उज्ज्वला घोषाल बताती हैं कि भाप के इस्तेमाल से खांसी, बंद नाक में भी राहत मिलती है। यह जमा बलगम को पिघला देती है। भाप श्वांस नलियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। साथ ही नाक व गले में जमा म्यूकस को पतला कर देता है। इससे सांस लेने में आसानी महसूस होती है। जब फेफड़ों तक पर्याप्त ऑक्सीजन बहुत जाती है तो शरीर स्वस्थ रहता है।

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