सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर के कारण हो सकता है सर्दियों में डिप्रेशन, जानिए इसके लक्षण, कारण और दूर करने के उपाय

सर्दियों के मौसम में काम में मन ना लगना या सुस्ती महसूस होना एक आम बात है। लेकिन यदि इसके साथ ही आपको डिप्रेशन महसूस होने लगे तो आप सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर के शिकार हो सकते है। आज हम आपको एसएडी के लक्षण, कारण और इससे बचने के उपाय के बारे में बता रहे हैं।

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आपने अक्सर देखा होगा कि मौसम बदलने के साथ ही हमारे शरीर और दिमाग पर कई प्रकार का असर पड़ना शुरू हो जाता है। अच्छे और सुहावने मौसम में आप खुद को फ्रेश फील करते हैं, वहीं दूसरी ओर खराब मौसम के समय आपका मूड भी खराब हो जाता है। इसके अलावा मौसम के कारण हमारा मूड भी काफी प्रभावित होता है। शायद आपने भी इस बात पर ध्यान दिया होगा कि सर्दियों के मौसम में हम खुद को ज्यादा अकेला महसूस करते है और इसीलिए सर्दियों में हमारा कोई काम करने का मन नहीं करता। यदि आप अपने अंदर कुछ ऐसा ही महसूस करते है तो मुमकिन है आप भी सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर (Seasonal Affective Disorder) का शिकार हो सकते है।

क्या है सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर? (What is Seasonal Affective Disorder)

सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर को विंटर ब्लू (Winter Blue) या विंटर डिप्रेशन (Winter Depression) के नाम से भी जाना जाता है। एसएडी (SAD) एक तरह का अवसाद (डिप्रेशन) होता है, जो आमतौर पर साल में किसी एक मौसम के दौरान होता है। हालांकि यह डिसॉर्डर सर्दी, गर्मी या बरसात किसी भी मौसम में हो सकता है, लेकिन आकड़ों के अनुसार देखा जाए तो सर्दियों के दौरान इसके अधिक मामले देखे जाते हैं।

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में हर साल सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर के एक करोड़ से भी अधिक मामले सामने आते है। सर्दियों में एसएडी होने का सबसे प्रमुख कारण है धूप की कमी। सूरज की रोशनी के अभाव के कारण हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है। इसके अलावा सूरज की रोशनी की कमी के कारण अन्य कई नकारत्मक प्रभाव हमारे शरीर में देखने को मिल सकते हैं।

सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर के लक्षण (Symptoms of Seasonal Affective Disorder)

सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर की पहचान आप खुद कर सकते है। अगर आपको निम्न बिंदुओं में से किसी भी प्रकार के लक्षण अपने अंदर नज़र आते है तो आप भी इस डिसॉर्डर के शिकार हो सकते है। ये लक्षण आंशिक या फिर पूर्ण रूप से आपके अंदर नज़र आ सकते हैं-

  • डिप्रैशन महसूस होना
  • किसी काम में मन ना लगना
  • दिनभर थकान और सुस्ती आना
  • रात में ठीक से नींद ना आना
  • चिड़चिड़ापन, आदि

सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर के कारण (Causes of Seasonal Affective Disorder)

इतनी जानकारी के बाद शायद आपको अंदाजा हो गया होगा कि आखिर सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर क्या होता है। अब हम एसएडी किस वजह से होता है, उसके कुछ कारणों पर नज़र डाल लेते है-

धूप या सूर्य प्रकाश का अभाव

जैसा कि हमने आपको पहले बताया ही है कि सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर का मुख्य तौर पर सूरज की रोशनी की कमी के कारण होता है। सर्दियों में दिन की लंबाई बहुत कम होती है और रात की लंबाई अधिक होती है। ऐसे में व्यक्ति खुद को अंधेरे में महसूस करता है, जिस कारण उसे डिप्रेशन महसूस होने लगता है।

मेलेटोनिन में वृद्धि

मेलेटोनिन नामक होर्मोन हमारे शरीर में नींद को कंट्रोल करता है। सर्दियों में रात लंबी होने के कारण शरीर के अंदर मेलेटोनिन अधिक बनता है, जिस कारण हमारे दिमाग को लगता है कि नींद का समय हो गया है। इसीलिए हमें दिनभर थकान और सुस्ती महसूस होती है और रात के समय नींद आने में परेशानी होती है।

सिरेटोनिन में कमी

सिरेटोनिन एक तरह का न्यूरोट्रांस्मीटर होता है, जिसके कम या ज्यादा स्तर होने का सीधा प्रभाव हमारे मूड पर पड़ता है। सिरेटोनिन का स्तर जितना अधिक होगा, उतना अधिक आप खुश रहेंगे। लेकिन धूप की कमी के कारण सर्दियों में इसके स्तर में गिरावट देखने को मिलती है और इसी वजह से आप उदास और दुखी रहने लगते है।

सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर को दूर करने के उपाय (Treatment of Seasonal Affective Disorder)

सुनने में तो सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर एक सामान्य या आम बीमारी लगती है, लेकिन यदि समय रहते इसकी ओर ध्यान ना दिया जाए तो इसके कई गंभीप परिणाम हो सकते है। एसएडी के कारण व्यक्ति आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर हो सकता है, साथ ही मुमकिन है कि अवसाद उसके अंदर स्थायी हो जाए। लेकिन इसके लक्षण और कारण की पहचान कर आप आसानी से इस समस्या से खुद को बाहर निकाल सकते है।

चलिए SAD को दूर करने के कुछ आसान उपाय के बारे में जान लेते हैं-

सूरज की रोशनी

कोई भी बीमारी या समस्या जिस कारण होती है, यदि उस कारण को ही रोक दिया जाए तो यकीनन आप आसानी से उस परेशानी से निजात पा सकते है। अगर आप एसएडी से बचना चाहते है तो रोज़ाना कुछ देर धूप की रोशनी में बैठें। इससे आपके शरीर में विटामिन डी की कमी नहीं होगी और अन्य अंतरंग अंग भी सुचारू रूप से काम करते रहेंगे।

लाइट थेरेपी

सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर के इलाज के लिए कई सालों से लाइट थैरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। लाइट थैरेपी में व्यक्ति को कृत्रिम प्रकाश के सामने बैठाया जाता है, जिससे उसे अपने जीवन में अंधकार महसूस नहीं होता और वह रिफ्रेश फील करने लगता है।

योग और मेडिटेशन

किसी भी मानसिक बीमारी से बाहर आने का सबसे अच्छा उपाय योग और मेडिटेशन है। यह एक ऐसी कला है, जिससे आप शारीरिक एवं मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ्य रहेंगे। सुबह के समय खुले आसमान में आधे घंटे योग और मेडिटेशन करने से आप कई गंभीर बीमारियों से खुद को बचा सकते है।

सोशल बनें

कई बार अकेलेपन के कारण भी व्यक्ति को अवसाद होता है। इससे बचने के लिए अपने परिवार और दोस्तों के साथ अधिक से अधिक समय बीताएं। खुद को एक कमरे में बंद करने की बजाय बाहर घूमे। आप जितना अधिक सोशल बनेंगे और नए लोगों से मिलेंगे, उतनी ही जल्दी इस समस्या से निजात पा लेंगे।

मनपसंद काम करें

सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर से खुद को बाहर निकालने के लिए आप अपने पसंदीदा काम में अधिक से अधिक समय बीताएं। यदि आप खाने के शौकीन है तो कुछ दिन तक रोज़ाना अपनी पसंद का खाना खाए। कुछ रिसर्च के अनुसार मनपसंद खाना खाने से डिप्रेशन की समस्या बहुत जल्दी ठीक हो जाती है।

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