अगर ग्राहक से कैरी बैग के नाम पर वसूले पैसे तो देना होगा 4000 रूपये का जुर्माना, जोधपुर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय ने सुनाया फैसला

राजस्थान में जोधपुर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय ने एक निर्णय में कहा है कि ग्राहक को बेचे गए सामान को सुरक्षित हालत में डिलीवरी करने का दायित्व विक्रेता का होता है। इसलिए सामान को घर तक ले जाने के लिए दी गई पैकिंग सामग्री की कीमत वसूल करने का विक्रेता को अधिकार नहीं है।

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आप सभी लोग जब भी कभी मॉल जाते होंगे या किसी बड़ी शॉप पर जाते होंगे। तो आपको वस्तु खरीदने के पश्चात उसे अपने घर ले जाने के लिए कैरी बैग के नाम पर अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है। क्या ये सही है या गलत? आप इसी विचार में लगे रहते हैं। तो आपके लिए समाचार बहुत उपयोगी साबित होने वाला है। राजस्थान में जोधपुर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय ने अपने फैसले में कहा है कि ग्राहक को बेचे गए सामान को सुरक्षित हालत में डिलीवरी करने का दायित्व भी विक्रेता का ही होता है। इसीलिए सामान की दुकान से घर तक ले जाने के लिए दी गई पैकिंग सामग्री के लिए अतिरिक्त कीमत वसूल करने का अधिकार किसी भी विक्रेता को नहीं है।

जोधपुर निवासी उपेन्द्र कुमार ने आयोग के समक्ष सरदारपुरा स्थित वाइल्ड क्राफ्ट इंडिया लिमिटेड के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि उसने उक्त शोरूम से जुलाई, 2019 में रेडिमेड कपड़े खरीदे थे। फर्म ने सामान के साथ उसे दिए गए कैरीबैग की कीमत 8.92 रुपये भी नाजायज रूप से बिल में जोड़कर उससे वसूल कर ली है व कैरीबैग पर अपनी फर्म का नाम छपाकर विज्ञापन भी कर रखा है।

आयोग के अध्यक्ष डॉ श्याम सुंदर लाटा, सदस्य डॉ अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी की बेंच ने सुनवाई के बाद कहा कि माल विक्रय अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, ग्राहक को विक्रय किए गए सामान की सुरक्षित डिलीवरी देने का दायित्व विक्रेता का होता है। जिसके कारण सामान सही हालत में ले जाने के लिए दिए गए कैरीबैग या पैकिंग सामग्री की कीमत वसूल करने का दुकानदार को कोई अधिकार नहीं है। आयोग ने विपक्षी दुकानदार को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी मानते हुए कैरीबैग की कीमत 8.92 रुपये तथा शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में दो हजार रुपये की राशि परिवादी को अदा करने का आदेश दिया है। दुकानदार को भविष्य में ग्राहकों से कैरीबैग की कीमत वसूल नहीं करने के लिए पाबंद करने के साथ-साथ दो हजार रुपये का हर्जाना उपभोक्ता कल्याण कोष राजस्थान में जमा करवाने का आदेश भी दिया गया है। आपको बता दें कि इससे पहले भी कई ऐसे ही मामले क्षेत्र में सामने आए थे।

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