जनता सरकार को चुनती है क्योंकि उसे सरकार चाहिए आस होती है कि सरकार उनके जीवन में परिवर्तन करेगी उनकी समस्याओं का समाधान करेगी। गोरखपुर और गोरखपुर के आसपास के बहुत सारे गांव आज वर्तमान में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं। इसका कारण है कि योगी सरकार ने आजादी के बाद पहली बार उन गांव में चुनाव कराने का फैसला लिया है जहां पर आज तक लोकतंत्र का यह त्यौहार कभी मनाया ही नहीं गया था। कुछ समय पहले तक इन गांव में केवल घास फूस के मकान और मिट्टी की सड़कें दिखाई देती थीं। लेकिन 2017 के बाद से इस गांव में पक्की सड़कें बनी है, पक्की नालियां और पक्के मकान भी बनाए गए हैं। इन गांव में वनटांगिया समुदाय के लोग निवास करते हैं।
यहां के लोग उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ईश्वर मानते हैं। वे कहते हैं, “जो कुछ भी है, महाराज जी की बदौलत है। वह हर साल हम लोगों के बीच आकर दीपावली मनाते हैं, हमारे दिलों को खुशियों की रोशनी से भर देते हैं। आपको बता दें कुसम्हीं जंगल के घने और अंदरूनी हिस्से में 1918 से वनटांगिया मजदूरों के पांच गांव जंगल तिनकोनिया नंबर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा बसे हैं। इनका मुख्य व्यवसाय घास फूस और जंगलों पर ही निर्भर रहा। आजादी के बाद जब भारत का विकास हो रहा था और भारत के बहुत सारे गांव शहरों में, शहर महानगरों में तब्दील हो रहे थे। ऐसे समय में किसी भी महान नेता की दृष्टि इन गांव पर नहीं पड़ी और यह गांव बिछड़ते चले गए।
सन 1998 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब पहली बार गोरखपुर से सांसद बने तो उन्होंने इन सभी गांव में विकास करने का काम किया। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के सहयोग से उन्होंने इन बस्तियों में न केवल शिक्षा की अलख जगाई, बल्कि गोरखनाथ मंदिर से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ अस्पताल की मोबाइल मेडिकल सेवा को भी इन बस्तियों में पहुंचाया। सांसद रहते हुए 2009 से ही योगी आदित्यनाथ ने वनटांगिया समुदाय के लोगों के साथ दीपावली मनाने की परंपरा शुरू की जो उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद भी कायम है।