पंजाब में कांग्रेस पार्टी सरकार में है। लेकिन कांग्रेस पार्टी के दो बड़े और कद्दावर नेता इस समय आमने सामने आ चुके हैं। राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और भाजपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू के आपसी विवाद किसी से भी छिपे हुए नहीं है। सिद्धू कैप्टन के नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार नहीं है। और कैप्टन सिद्धू को स्वीकार करने करने की तैयारी में नहीं है। इसी बीच हिंदुस्तान टाइम्स ने जब नवजोत सिंह सिद्धू से इस पूरे मामले को लेकर कुछ सवाल पूछे तो उन्होंने कुछ ऐसे जवाब दिए जो साफ यह जाहिर करते हैं कि प्रदेश में कांग्रेस की क्या स्थिति है?
प्रश्न: आपका राजनीतिक लक्ष्य क्या है?
मेरे राजनीतिक जीवन का निरंतर उद्देश्य है राजनीतिक व्यवस्था को ऑबज़र्व करना और उसे बदलना। दो ताकतवर परिवारों से चल रही प्रणाली पंजाब को नियंत्रित कर रही है। जो विधान-सभा को नीचा दिखा रही है, राज्यों के हितों को दरकिनार कर रही है और यह सब वे सिर्फ अपने स्वार्थ और व्यवसायों के लिए कर रहे हैं। उन्होंने सब कुछ कंट्रोल कर लिया है.. मेरी लड़ाई व्यवस्था के खिलाफ रही है।
प्रश्न: लेकिन आप एक मंत्री के रूप में व्यवस्था का हिस्सा थे और अभी भी एक विधायक के रूप में हैं?
आपको सिस्टम में काम करने की अनुमति कौन देता है? एक विधायक का मूल्य क्या है? एक विधायक क्या चाहता है? सिस्टम बर्बाद हो गया है। पंजाब को गिरवी रख दिया गया है….
प्रश्न: आप कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से संपर्क कर सकते हैं और इन मुद्दों को पहले ही उनके साथ उठा चुके होंगे। उन्होंने इस पूरे मामले पर क्या किया…?
मैं बस उसी बात का जवाब दे सकता हूं जो मेरे हाथ में है। मैंने उनसे इन बातों पर चर्चा की है।
प्रश्न: आप क्या भूमिका चाहते हैं?
मुझे कोई भूमिका नहीं चाहिए… मैं बेअदबी का यह मामला सुलझाना चाहता हूं…
प्रश्न : मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि आप 5 साल पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए थे जबकि कई लंबे समय के नेता हैं।
एक आदमी तीन चुनाव हारता है, अपनी जमानत खो देता है, उसे 736 वोट मिलते हैं, अपनी पार्टी बनाता है और फिर मैडम गांधी के पास दौड़ता है और छह महीने में प्रेजिडेंट बन जाता है। उस नु सुरखब दे पर लग्गे सी (उसमें कुछ खास नहीं था)।
प्रश्न : फिर कांग्रेस में संकट क्या है?
संकट सीधा है। कोई भी एजेंडा पूरा करने के लिए तैयार नहीं है । सब लूटने को तैयार हैं। लोकतंत्र सिर्फ नंबरों के बारे में है।