हमारे देश भारत में कई धर्मों के लोग रहते हैं। अधिकतर हमारे देश में धर्म के नाम पर भीतरी रूप से काफी होता है परंतु राजनेताओं और धर्म के ठेकेदारों के एजेंडे के तहत हमारे यहां आपसी सद्भाव बिगड़ जाता है। आप लगातार खबरों में देख ही रहे होंगे कि किस प्रकार से देश में धर्मांतरण का कुचक्र चलाया जा रहा है? इसी मामले को लेकर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि भारत जैसे देश में जबरन धर्म परिवर्तन किसी धर्म के प्रसार का मापदंड नहीं हो सकता। साथ ही यह भी कहा कि भारत में आस्तिक और नास्तिक दोनों समान अधिकारों के साथ रहते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले ईसाई समुदाय के प्रमुख लोगों से मुलाकात के दौरान नकवी ने कहा, भारत कभी भी धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता का शिकार नहीं हो सकता क्योंकि यह दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और धार्मिक ज्ञान का केंद्र है और सर्व धर्म समभाव व वसुधैव कुटुंबकम का प्रेरणास्रोत है।
संविधान में प्रत्येक धर्म को दिए हैं समान अधिकार : मुख्तार अब्बास नकवी
उन्होंने कहा कि एक तरफ हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी, यहूदी, बहाई सहित दुनिया के विभिन्न धर्मों के लोग भारत में रहते हैं। वहीं, करोड़ों ऐसे लोग भी हैं, जो नास्तिक हैं लेकिन दोनों तरह के लोगों को संविधान से संरक्षण प्राप्त है और उन्हें समान सांविधानिक और सामाजिक अधिकार मिले हुए हैं। नकवी ने कहा, भारत की सहिष्णुता की संस्कृति और मिलजुल कर रहने की प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करना हम सब की सामूहिक राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।