उत्तर प्रदेश की सरकार अब बरसो पुराने तथा अनुपयोगी कानूनों को समाप्त करने जा रही है। इसमें 100 साल पुराने सभी नियम शामिल होंगे। यह बताया जा रहा है कि इन कानूनों के खत्म होने के बाद उद्योग धंधे तेजी से लगाए जा सकेंगे तथा व्यापार करने में भी आसानी होगी। इसके लिए संबंधित विभाग अपने यहां से इस तरह के मामलों की समीक्षा करके खुद ही बता रहे हैं कि फला कानून को खत्म किया जाएगा, फला कानून को रखा जाएगा। यह बताया जा रहा है खाद्य एवं रसद विभाग में भी कई इसी तरह की एक्ट एवं नियमावली है, कई तो एक जैसे हैं मसलन यूपी इनसे सीरियल कॉमेडीटीज से जुड़े चार नियम है इनको एक किया जा रहा है। यूपी रूल्स रेगुलेटिंग द ट्रांसपोर्ट टिंबर इन कुमाऊं सिविल डिवीजन -1920..इस कानून को बने सौ साल हो गए। 20 साल पहले तो कुमाऊं क्षेत्र समेत पूरा उत्तराखंड अलग राज्य बन गया। लेकिन वन विभाग का यह नियम अभी यूपी में बरकरार है। यही नहीं 82 साल पुराना एक और कानून है। ‘यूपी रूल्स रेगुलेटिंग ट्रांजिट आफ टिंबर आन द रिवर गंगा एबब गढ़मुक्तेश्वर इन मेरठ डिस्ट्रिक एंड आन इटस ट्रिब्यूटेरिस इन इंडियन टेरिटेरी एबब ऋषिकेश- 1938…’। ये कानून ऐसे है जिन्हें खत्म करने पर सरकारविचारकर रही है।
इन कानूनों को किया जा सकता है समाप्त
- इंडियन फारेस्ट यूपी रूल 1964
- यूपी कलेक्शन एंड डिस्पोजल आफ डि्रफ्ट एंड स्टैंडर्ड वुड एण्ड टिंबर रूल्स।
- यूपी कंट्रोल आफ सप्लाई डिस्ट्रब्यूशन एंड मूवमेंट आफ फ्रूट प्लांटस आर्डर-1975
- यूपी फारेस्ट टिंबर एंड ट्रांजिट आन यमुना, टन व पबर नदी रूल्स 1963, यूपी प्रोडयूस कंट्रोल।
- यूपी प्रोविंसेस प्राइवेट फारेस्ट एक्ट।
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