भारतीय संस्कृति में कहा जाता है, “कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा? कभी भूखे को खाना खिलाया नहीं बाद मेवा चखाने से क्या फायदा?” अर्थात यदि आपने किसी प्यासी व्यक्ति को पानी नहीं पिलाया है तो अमृत पिलाने से कोई फायदा नहीं होता और यदि आपने किसी भूखे व्यक्ति को भोजन नहीं खिलाया तो बाद में बादाम का भोग लगाने से भी कोई पुण्य नहीं मिलता। हमारे देश में बहुत सारे वृद्ध ऐसे हैं जो खाना नहीं बना पाते ऐसे में आगरा की इन बुजुर्गों के लिए एक चैरिटी ट्रस्ट जिसका नाम सत्यमेव ट्रस्ट है। उसने यह निर्णय लिया है कि अब इन वृद्धों के लिए निशुल्क टिफिन दिया जाएगा बताया जा रहा है कि टिफिन में चावल,चपाती,सब्जी,दाल,सलाद तथा मिठाई का एक टुकड़ा होगा। उनका यह भी कहना है, “यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार इसमें दान करना चाहता है तो वह दान करने के लिए स्वतंत्र है।”
सत्यमेव ट्रस्ट के अधिकारी गौतम सेठ बताते हैं, “शहर में दूरदराज की कालोनियों और बहुमंजिला कांपलेक्स में ऐसे बुजुर्ग जोड़े हैं जो अकेले रहते हैं और उनके पास कोई सुविधा नहीं है या ज्यादा उम्र होने के कारण शारीरिक रूप से वे अपना भोजन बनाने में सक्षम नहीं है… टिफिन सेवा उनके पास पहुंचाई जाएगी, यह स्वैच्छिक है।” उन्होंने कहा, “हमारे पास शहर में बड़ी संख्या में परिवारों तक पहुंचने के लिए पर्याप्त संसाधन और बुनियादी सुविधाएं हैं। भोजन मां की रसोई के प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा स्वच्छता से तैयार किया जाता है। केवल 5 रूपये में सैकड़ों लोगों को प्रतिदिन गुणवत्ता वाला भोजन प्रदान करता है।”
बताया जा रहा है कि भारत में मुफ्त टिफिन सेवा अपने आप में अनोखा है। सत्यमेव ट्रस्ट के ट्रस्ट अशोक गोयल बताते हैं, “इन दिनों बड़ी संख्या में बुजुर्ग फ्लैटों में अकेले हैं… उनके बच्चों ने उन्हें अपने बेहतर जिंदगी की चाह में छोड़ दिया है। कई लोग अपना दैनिक भोजन तैयार करने के लिए एक रूप से अयोग्य हैं। हम ऐसे लोगों तक पहुंच रहे हैं। हमने अपने फोन नंबरों को सरकुलेट कर दिया है। जिन लोगों को सेवा की आवश्यकता है वह हमें केवल फोन करें, हम खुद उनके घर तक पहुंच जाएंगे।”