दरअसल, एनसीईआरटी (National council of Educational Research and Training) (NCERT) पाठ्यक्रम में छपी एक कविता चर्चा का विषय बन गई है। मामले में तेजी आते देख एनसीईआरटी ने सामने आकर अपनी बात रखी। अपने ट्विटर अकाउंट पर कहा, “एन. सी. एफ. 2005 के परिपेक्ष्य के स्थानीय भाषाओं के शब्दावली को बच्चों तक पहुंचाने के उद्देश्य में रखते हुए यह कविताएं शामिल की गई ताकि सीखना रूचि पूर्ण हो सके।”
एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक में दी गई कविताओं के संदर्भ में: एन.सी.एफ-2005 के परिप्रेक्ष्य में स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुँचाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ये कविताएं शामिल की गई हैं ताकि सीखना रुचिपूर्ण हो सके।
— NCERT (@ncert) May 21, 2021
पहली कक्षा के लिए लगने वाली किताब में एक कविता है। कविता का नाम ‘आम की टोकरी’ जोकि पूरी कविता कुछ इस तरह है।
छह साल की छोकरी,
भरकर लाई टोकरी।
टोकरी में आम है,
नहीं बताती दाम है।
दिखा दिखाकर टोकरी,
हमें बुलाते छोकरी।
हमको देती आम है,
नहीं बुलाती नाम है।
जिसमें लोगों ने लिख कर विरोध दर्ज किया है। कोई छह साल की बच्ची के लिए “छोकरी” जैसे अपमानजनक शब्द कैसे प्रयोग कर सकता हैं। और वही टोकरी को सर पर रखने कि वजह से लोगो ने बोला इससे बाल श्रम को बढ़ावा मिलेगा। इसी वजह से कविता कि खूब आलोचना की जा रही।
इस विषय पर आईएएस अवनीश शरण ने भी सोशल मीडिया पर आवाज उठाई। वो लिखते है ये किस सड़क छाप कवि कि रचना है। कृपया इस पाठ को पाठ्यक्रम से बाहर करे। वहीं एक यूजर ने अवनीश शरण के पोस्ट पर रिप्लाई करते हुए कहा, “कविता तो एकदम सही है आईएएस सर पर आपकी भाषा के शब्द सड़कछाप कविता से बदतर है। आपको ऐसे शब्द शोभा नहीं देते। कविता मासूमियत से भरी है अब किसी की सोच में गंदगी हो तो क्या कर सकते है।”