सुप्रीम कोर्ट की डेक्स पर कुछ समय पहले की याचिका दाखिल की गई थी जिसमें पति ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसकी पत्नी को पति के साथ रहने का आदेश दिया जाए। लेकिन इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा,”आपको क्या लगता है? क्या एक महिला गुलाम या संपत्ति है जो हम ऐसे आदेश दें? क्या महिला कोई संपत्ति है जिसे हम आपके साथ जाने को कहें?” साल 2015 में महिला ने गोरखपुर कोर्ट में याचिका दायर कर पति से गुजारा-भत्ता की मांग की थी। कोर्ट ने पति को 20 हजार रुपये हर महीने पत्नी को देने का आदेश दिया था। इसके बाद पति के द्वारा कोर्ट में दांपतिक अधिकारों की बहाली के लिए अपनी याचिका दायर की थी। इस मामले में महिला का कहना है कि यह दलील उसका पति केवल इसलिए दे रहा है क्योंकि वह गुजारा भत्ता देने से बचना चाहता है।
महिला के वकील ने कोर्ट को यह भी कहा कि पति तभी फैमिली कोर्ट भी गया जब उसे पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश मिला। पति के द्वारा मांगे गए दांपत्य अधिकारों की याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। वास्तव में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पति पत्नी के पवित्र रिश्ते के लिए काफी अहम मानी जा सकती है।