दुनिया की ऐसी जगह जहां पड़ती है सबसे ज्यादा गर्मी, मोम की तरह पिघलने लगते हैं गाड़ियों के टायर

वर्तमान समय में उत्तर भारत के बहुत सारे इलाके भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विश्व में एक ऐसा भी स्थान है जहां पर इतनी भीषण गर्मी पड़ती है कि उस गर्मी से बाहर की गाड़ियों के टायर भी पिघल जाते हैं।

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दुनिया में कुदरत ने अलग-अलग मौसम बनाए हैं और अलग-अलग मौसम के हिसाब से जो प्राणी अपने शरीर को डाल लेते हैं वहीं इस दुनिया के संघर्ष में जीवित रह पाते हैं। डार्विन का यह सिद्धांत हम सभी ने पढ़ा है। भारत के कई हिस्सों में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है और वहां के लोग इस गर्मी से बहुत ज्यादा परेशान रहते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि दुनिया के वे कौन से देश हैं दुनिया की वह कौन सी जगह है जहां पर सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती होगी? आज के इस लेख में हम आपको उसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं।

डेथ वैली, अमेरिका

कैलिफोर्निया के मोजेव रेगिस्तान में स्थित डेथ वैली उत्तरी अमेरिका के सबसे सूखे और गर्म इलाकों में से है। यहां पर बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है। ज्यादा गर्मी का सबसे प्रमुख कारण है कि यहां पर समुद्र का स्तर बहुत नीचे है। जुलाई 1913 में यहां का तापमान 56.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जो अब तक का रिकॉर्ड तापमान है। यहां का तापमान 47 डिग्री सेल्सियस रहता है।

फ्लेमिंग माउंटेन, शिनजियांग, चीन

चीन के शिनजियांग में तियान शान पहाड़ों की श्रृंखला में आने वाले फ्लेमिंग माउंटेन को भी गर्म इलाकों में शामिल किया जाता है। साल 2008 में यहां पर समुद्रीतल का तापमान 66.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। उस साल धरती पर नापा गया ये सबसे ज्यादा तापमान था।

क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया को दुनिया का सबसे शुष्क महाद्वीप कहा जाता है। ‘बैडलैंड्स’ के नाम से मशहूर यहां क्वींसलैंड आउटबैक एक बड़ा रेगिस्तान है। साल 2003 में भयंकर सूखा पड़ी थी।  आपको बता दें कि उस वक्त यहां का तापमान 69.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। आप लोग सोच सकते हैं कि इतनी भीषण गर्मी में लोग कैसे जीवित रह पाते होंगे?

दश्त-ए-लूट, ईरान

दश्त-ए-लूट को इस पूरी दुनिया का सबसे गर्म स्थान माना जाता है। इसका प्रमुख कारण है कि साल 2004 में यहां का तापमान 70 डिग्री और 2005 में 70.7 डिग्री तक पहुंच गया था। दश्त-ए-लूट के ज्यादातर हिस्से में इतनी गर्मी पड़ती है कि यहां किसी जीव-जंतु के लिए रहना संभव नहीं है।

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