कोरोना संक्रमण के बीच मध्य प्रदेश की सियासत में जो भी कुछ हुआ यह पूरे देश ने देखा। कैसे कमलनाथ सरकार गिरी और कैसे शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। अब यही हाल राजस्थान में भी होने वाला है। शनिवार को अशोक गहलोत ने एक बयान जारी करते हुए भारतीय जनता पार्टी पर ही आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी अशोक गहलोत की सरकार को गिराना चाहती है।
जबकि भारतीय जनता पार्टी यह कह रही है कि यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है। इसमें भारतीय जनता पार्टी का कोई भी दखल नहीं है। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्रियों के साथ एक मीटिंग बुलाई है जिसमें सचिन पायलट और उनके समर्थकों को नहीं बुलाया गया है।
सचिन पायलट का कहना है कि मैं दिल्ली है इस कारण इस मीटिंग में शामिल नहीं हो पा रहे हैं लेकिन यह बात सब जानते हैं कि राजस्थान में सरकार बनने के बाद सचिन पायलट की नाराजगी किसी से भी नहीं छिपी है।
क्या पायलट बिगाड़ेंगे गहलोत का खेल?
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भगवान श्री राम ने जब रावण को मारा था तो रावण के मरने में सबसे बड़ा हाथ उनके भाई विभीषण का था। ठीक उसी प्रकार कमलनाथ की सरकार गिराने में पूरा हाथ उनके साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया का था। अब यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि अशोक गहलोत की सरकार गिराने में बहुत बड़ा हाथ सचिन पायलट का माना जा सकता है।
अशोक गहलोत ने अपने एक बयान में कहा था कि जब मैं एक बार मुख्यमंत्री बन गया तो लोगों को मेरे साथ काम करना चाहिए। उनका सीधे तौर पर इशारा सचिन पायलट की ओर था। इस पूरे घटनाक्रम के चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी के आलाकमान से बात करके सचिन पायलट से प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री का पद भी छिनवा सकते हैं। क्योंकि मध्य प्रदेश में सरकार गिरने से पहले भी ऐसा ही हुआ था ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली में थे और उनके समर्थक विधायक एक होटल में थे। अब देखना यह होगा क्या गहलोत की सरकार घुटनों पर आएगी या फिर सचिन पायलट विभीषण का रोल निभाएंगे?
क्या कहा था अशोक गहलोत ने?
अशोक गहलोत ने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था, “हमको कोरोना से जंग लड़ रहे हैं, और भी लोग इस में लगे हैं कि कैसे सरकार गिरे? कैसे खरीद-फरोख्त की जाए?” राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने और राज्यों का जिक्र करते हुए भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा! अशोक गहलोत बोले, ” उत्तराखंड की सरकार में 5 मंत्री वे हैं, जो पहले कांग्रेस में थे, गोवा और मणिपुर में देख लीजिए कांग्रेस की सरकारें ही बदल दी गई, और सबसे ज्यादा कमाल तो महाराष्ट्र में हुआ, बहुमत नहीं था तब भी शपथ दिलाई गई। और मध्य प्रदेश तो सबके सामने है। “