राजधानी दिल्ली की हवाई कार फिल्म जहरीले होती दिखाई दे रही है। दिल्ली में प्रदूषण का इतना बढ़ गया है कि ऐसा लगता है कि चारों ओर प्रदूषण की चादर बिछ गई हो। सांस रोगियों के लिए यह माहौल बिल्कुल भी ठीक नहीं है। लॉकडाउन के समय में दिल्ली और पूरे देश का वातावरण बिल्कुल शुद्ध था लेकिन लॉकडाउन के बाद एक बार फिर वातावरण में गिरावट इस बात को सिद्ध करती है कि मनुष्य लगातार प्रकृति का दोहन करता जा रहा है। बुधवार को दिल्ली की वायु का गुणवत्ता सूचकांक AQI 300 से नीचे चला गया और यही सिलसिला गुरुवार की सुबह भी जारी रहा।
बुधवार को श्रीनिवासपुरी में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा 875 मापा गया, वहीं दूसरी तरफ पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार में पोलूशन का लेवल 472 दर्ज हुआ। आप यह मानिए कि दिल्ली के अधिकांश स्थानों पर प्रदूषण का स्तर 450 से ज्यादा ही रहा। वहीं गुरुवार की सुबह दिल्ली के आर के पुरम में एयर क्वालिटी इंडेक्स का लेवल 451 दर्ज किया गया और लोधी रोड पर 394 दर्ज किया गया। हम आपको बता दें 0 से 50 के बीच का एक AQI अच्छा होता है, वही 50 से 100 के बीच का एक AQI संतोषजनक होता है, 100 और 200 के बीच मध्यम, तथा 201से 300 के बीच के AQI को खराब समझा जाता है। वही 301 से 400 के बीच के एक AQI को बेहद खराब और 401 से 500 के बीच की स्थिति को गंभीर माना जाता है।
यह माना जा रहा है दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण में बहुत बड़ा हाथ पंजाब और हरियाणा में जल रहे पराली का भी है। पंजाब में अब तक इस साल पराली जलाने के 36755 मामले दर्ज हो चुके हैं जो कि 2019 के मुकाबले इस समय 49% ज्यादा है। इस समय पराली जलाने के खिलाफ कई किसानों पर मुकदमा दर्ज हो चुका है और वही इसको रोकने के लिए 41 टीमों का गठन हो गया है। दिल्ली में केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली ने बताया है कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई। लेकिन इनकी संख्या अब भी काफी ज्यादा है और दिल्ली और पश्चिम उत्तर भारत की वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है।