उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की सरकार में उत्तर प्रदेश के कई शहरों में मायावती तथा मायावती की पार्टी के कुछ नेताओं के नाम से पार्क बनाए गए थे। इनमें दो प्रमुख पार्क लखनऊ और नोएडा में बने थे। मायावती सरकार में लखनऊ और नोएडा में बने स्मारक घोटाले में उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान( विजिलेंस) की लखनऊ टीम ने राजकीय निर्माण निगम के चार बड़े तत्कालीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। 2007 से 2011 में मायावती शासनकाल के दौरान लखनऊ और नोएडा में बने भव्य स्मारक में हुए घोटाले की जांच यूपी विजिलेंस की लखनऊ टीम कर रही थी। इसी जांच के क्रम में शुक्रवार को विजिलेंस टीम ने वित्तीय परामर्शदाता विमलकांत मुद्गल, महाप्रबंधक तकनीकी एसके त्यागी, महाप्रबंधक सोडिक कृष्ण कुमार,इकाई प्रभारी कामेश्वर शर्मा को गिरफ्तार किया है। टीम के द्वारा इन चारों लोगों से पूछताछ की जा रही है। इस मामले में कुछ समय बाद ही इनकी कोर्ट में पेशी होगी।
आपको बता दें लखनऊ और नोएडा में मायावती के शासनकाल में जो स्मारक बनाए गए। उनमें लगे पत्थरों के लिए ऊंचे दाम वसूले गए थे। मिर्जापुर में एक साथ 29 मशीनें लगाई गई थी और कागजों में यह दिखाया गया कि यह पत्थर राजस्थान से मंगाये जा रहे हैं और फिर वहां पर कटिंग की जा रही है। धुलाई के नाम पर अनुचित रूप से करोड़ों रुपए वसूले गए। बनाया गया जो कि खनन नियमों के खिलाफ था। 840 रुपए प्रति घनफुट के हिसाब से ज्यादा वसूली की गई। मंत्रियों ने अपने चहेते अफसरों और अधिकारियों को इस पूरी व्यवस्था का ठेका दिया था, और मोटा कमीशन भी खाया था।वर्ष 2014 में तत्कालीन सपा सरकार ने मामले की जांच यूपी पुलिस के सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) को सौंपी थी। ऐसा तब हुआ जबकि लोकायुक्त ने इस घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।
वर्ष 2007-12 के बीच बसपा के शासनकाल में कई पार्कों और मूर्तियों का निर्माण कराया गया। इसी दौरान लखनऊ और नोएडा में दो ऐसे बड़े पार्क बनवाए गए जिनमें तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती, बसपा संस्थापक कांशीराम व भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के अलावा पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी की सैकड़ों मूर्तियां लगवाई गईं। मायावती के द्वारा किए गए उत्तर प्रदेश के लिए कुछ प्रमुख कार्यों में स्मारक बनाने का भी नाम आता है। स्मारकों के कारण मायावती पर विपक्षी पार्टियां हमेशा ही निशाना साधती रहीं हैं।