जानिए क्यों विकराल रूप ले रहा है कोरोना, प्रतिरोधक क्षमता का समाप्त होना तो नहीं है प्रमुख वजह

कोरोना की दूसरी नहर में देश में संक्रमण के मामले बहुत तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है पिछली लहर में बड़े पैमाने पर लोगों का कोरोना से सामना हुआ था और कई जगह 60 फीसदी तक लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई थी, जो नए संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक का कार्य करती हैं, लेकिन या तो समय के साथ ये एंटीबॉडीज नष्ट हो गईं हैं या फिर नए वायरस के खिलाफ कार्य नहीं कर रही हैं।

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कोरोना की दूसरी लहर ने भारतवासियों को जो दिन दिखाए हैं वैसा समय भारत वासियों ने शायद ही कभी देखा होगा। संक्रमण की पहली लहर के दौरान देशवासियों की प्रतिरोधक क्षमता ने संक्रमण को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया था। लेकिन इस बार यह संक्रमण देशवासियों को न केवल संक्रमित कर रहा है बल्कि मौत के मुंह में धकेल भी रहा है।पिछली लहर में बड़े पैमाने पर लोगों का कोरोना से सामना हुआ था और कई जगह 60 फीसदी तक लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई थी, जो नए संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक का कार्य करती हैं, लेकिन या तो समय के साथ ये एंटीबॉडीज नष्ट हो गईं हैं या फिर नए वायरस के खिलाफ कार्य नहीं कर रही हैं।

नई दिल्ली स्थित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के निदेशक प्रोफेसर एन. एन. माथुर ने ‘हिन्दुस्तान’ से विशेष बातचीत इस बात का खुलासा किया है कि यह सच है कि दिल्ली समेत कई राज्यों में सीरो सर्वेक्षण के दौरान बड़े पैमाने पर एंटीबॉडीज पाई गईं थीं। लेकिन इसके बावजूद कोरोना का बुरी तरह से संक्रमण यह दर्शाता है कि छह महीने पूर्व लोगों में बनी हमारी प्रतिरोधक क्षमता अब कमजोर हो गई है, वह संक्रमण को पहचान नहीं पा रही। उसके संक्रमण को रोक नहीं पा रही हैं। इस पर गहन अध्ययन किए जाने की जरूरत है जिससे सही कारण सामने आएगा।

डा. माथुर ने कहा कि युवा आबादी की ज्यादा सक्रियता की वजह से उनमें संक्रमण बढ़ा है चूंकि इस लहर के दौरान सभी गतिविधियां सामान्य रूप से चल रही थी इसलिए युवा आबादी ज्यादा संक्रिमत हुई है। दूसरे संक्रमण के कुल मामले ज्यादा होने से भी उसमें युवा आबादी की कुल संख्या बढ़ गई है। लेकिन ऐसा नहीं था कि पिछली बार युवा लोगों को संक्रमण कम हो रहा था, इस बार ज्यादा।

डॉ माथुर ने बताया है कि वायरस की हवा में फैलने का तात्पर्य यह नहीं है कि आप घर से बाहर निकलेंगे और हवा में सांस लेंगे तो आपको यह बीमारी हो जाएगी। घर या ऑफिस में यदि कोई कोरोना मरीज है तो बंद हवा में वायरस दूसरे को फैल सकता है। जबकि पहले सिर्फ नजदीकी संपर्क में आने से ही फैलता था। इसलिए जो लोग सुबह की सैर करते हैं, वह इससे डरें नहीं। उन्होंने कहा कि होम आइसोलेशन में उपचार करा रहे मरीजों को भी स्वस्थ होने के बाद डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर कुछ आवश्यक जांचें भी करानी चाहिए।

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