असदुद्दीन ओवैसी पर पश्चिम बंगाल में जमात ए उलेमा ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। बताया जा रहा है कि AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हुगली जिले के प्रसिद्ध फुरफुरा शरीफ तीर्थ स्थल के संरक्षक सिद्धकी के परिवार के साथ गठबंधन करने की इच्छा व्यक्त की,दोनों की मुलाकात भी हुई। बैठक के पश्चात मीडिया से बात करते हुए ओवैसी ने बताया कि उनका चुनाव को लेकर क्या मानना है? इसी बीच कई मौलवियों ने तथा इमामों ने कहा है, “असदुद्दीन ओवैसी पिछले उत्तर प्रदेश और बिहार विधानसभा चुनावों में मुस्लिम वोटों को विभाजित करके भारतीय जनता पार्टी को मदद करने का काम कर रहे हैं….” मौलवियों की ओर से यह भी कहा गया है कि बंगाल में मतदाताओं के द्वारा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इससे पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी तथा कांग्रेस ने भी यही आरोप लगाए थे
हम आपको बता दें टीएमसी सरकार में मंत्री तथा जमीयत उलेमा के अध्यक्ष सिद्धकउल्लाह चौधरी ने घोषणा की है कि बंगाल राजनीति में ओवैसी का कोई स्थान नहीं है। ए आई एम आई एम के बंगाल में प्रवेश के खिलाफ अल्पसंख्यक समुदाय के प्रमुखों की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है। क्योंकि सभी राजनीतिक दलों को पता है कि केवल हिंदू मतदाताओं के समर्थन से सत्ता में आना भारतीय जनता पार्टी के बस की बात नहीं है।
इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष एमडी याहिया ने कहा है, ” चाहे हिंदू हो या मुसलमान राज्य के लोगों की केवल एक पहचान है कि वे सभी बंगाली हैं…. एक तरफ इन बंगालियों को बीजेपी के द्वारा घुसपैठिए के रूप में प्रचारित किया जा रहा है तो दूसरी तरफ हैदराबाद और गुजरात के कुछ सांप्रदायिक नेता आबादी को सांप्रदायिकता के नाम पर बांटने का प्रयास कर रहे हैं यह स्वीकार नहीं होगा। “