एक मामले की सुनवाई करते हुए बंबई हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी कोई गुलाम या कोई वस्तु नहीं है। विवाह समानता पर आधारित एक साझेदारी है। कोर्ट ने पत्नी पर हमला करने वाले पति की सजा को अभी जारी रखा है। इसके अलावा 6 साल की बच्ची के बयान को भी कोर्ट ने मान्य कर दिया है।न्यायमूर्ति रेवती मोहिते देरे ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि पति के लिए चाय बनाने से इनकार करना पत्नी को पीटने के लिए उकसाने का कारण स्वीकार नहीं किया जा सकता, पत्नी ‘कोई गुलाम या कोई वस्तु नहीं’ है।
उन्होंने ये भी कहा कि ‘विवाह समानता पर आधारित साझेदारी है। ” लेकिन समाज में पितृसत्ता की अवधारणा अब भी कायम है और अब भी यह समझा जाता है कि महिलाएं पुरुष की सम्पत्ति है, जिसकी वजह से पुरुष यह सोचने लगता है कि महिला उसकी गुलाम है।
कोर्ट ने इस मामले में 6 वर्षीय बच्ची के बयान को मान्य किया है और उसी आधार पर कार्रवाई भी की जा रही है। बता दें कि साल 2016 में मुंबई की स्थानीय अदालत ने अख्तर को पत्नी पर जानलेवा हमला करने के लिए 10 साल की सजा सुनाई थी। अदालत ने अख्तर को गैर इरादतन हत्या का दोषी माना था। दरअसल 2013 में अख्तर की पत्नी ने चाय बनाने से इंकार कर दिया था तब पति ने उसके सर पर हथौड़े से वार किया था। 1 हफ्ते तक अस्पताल में भर्ती रहने के पश्चात उस महिला की मौत भी हो गई थी।