नहीं बचाया जल तो नहीं बचेगा कल, दुनिया के पांच अरब लोगों को झेलना पड़ सकता है जल संकट – यूएन की रिपोर्ट

संयुक्‍त राष्‍ट्र की एक रिपोर्ट में पूरी दुनिया में मंडराते जल संकट के प्रति आगाह किया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पानी की कम उपलब्‍धता की वजह से पहले से ही दुनिया के करोड़ों लोग मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।

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The State of Climate Services 2021: Water के नाम की एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यदि लोगों ने जल को बचाना और जल का दुरुपयोग कम करना नहीं शुरू किया, तो जल्द ही दुनिया के पांच अरब लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसमें ये भी कहा गया है कि वर्तमान समय में वाटर मैनेजमेंट, इसकी निगरानी, पूर्वानुमान और वक्‍त रहते चेतावनी दी जा सकने वाली तकनीकों के बीच सही तालमेल नहीं है। वहीं विश्‍व स्तर पर किए जा रहे जलवायु वित्त पोषण के प्रयास भी अपर्याप्त हैं।

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में करीब साढ़े तीन अरब लोग ऐसे थे जिनके पास वर्ष में केवल 11 माह के लिए जल की सुलभता थी। इसका अर्थ यह है कि उन्हें 1 महीने तक जल संकट का सामना करना पड़ता था। वहीं अब दावा किया जा रहा है कि वर्ष 2050 तक ये आंकड़ा 5 अरब हो सकता है। संयुक्‍त राष्‍ट्र की मौसम विज्ञान एजेंसी के महासचिव पेटेरी टालस का कहना है कि धरती का तापमान जिस तेजी के साथ बढ़ रहा है उसकी बदौलत जल की सुलभता में भी बदलाव आ रहा है। जलवायु परिवर्तन का सीधा असर बारिश के पूर्वानुमान और कृषि ऋतुओं पर भी पड़ रहा है। उन्‍होंने इस बात की भी आशंका जताई है कि इसका असर खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य और कल्याण पर भी हो सकता है।

इस रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि वर्ष 2000 से जल-संबंधी आपदाओं में तेजी हो रही है। यदि पिछले दो दशकों की बात की जाए तो वर्तमान में समय में जल संबंधी त्रासदियों में तेजी आई है। साथ ही इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा है। इसका सबसे अधिक प्रभाव एशियाई देशों में ही देखने को मिला है। टालस का कहना है कि बीत एक वर्ष के दौरान जापान जापान, चीन, इंडोनेशिया, नेपाल, पाकिस्तान और भारत में जबरदस्‍त बारिश और इसके बाद ही परेशानियां वाली घटनाएं सामने आई हैं। लाखों लोगों को इसकी वजह से विस्‍थापित भी होना पड़ा है। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा किसी एक देश या एक क्षेत्र में देखने को नहीं मिला है बल्कि समूची दुनिया में ये दिखाई दिया है। यूरोप में आई बाढ़ की वजह से कई लोगों की मौत हुई और अरबों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ।

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