लखनऊ । लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी दस्तावेज से लेक्चरर पद पर नियुक्ति का मामला इस समय काफी चर्चा में है। इस मामले में पांच लोगों पर एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। बताया जा रहा है कि लखनऊ यूनिवर्सिटी के दो पूर्व कुलपति भी इसमें शामिल थे।
शिकायतकर्ता डाक्टर प्रशांत पांडेय ने 30 अक्टूबर 2019 को हसनगंज कोतवाली में इस मामले की तहरीर दी थी। इस पर पुलिस की ओर से आठ मार्च को एफआईआर दर्ज की गई है। IANS की रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत ने अपनी FIR में कहा कि लविवि में 28 मार्च 2006 को प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी हुआ था। इसमें उन्होंने भी आवेदन किया था।
लेकिन विवि के तत्कालीन कुलपति, कुलसचिव व अन्य अधिकारियों ने योग्यता न होने के बावजूद विपुल खंड गोमतीनगर निवासी कविता चतुर्वेदी को इस पद पर नियुक्ति दे दी थी। वहीं अन्य अभ्यर्थियों के आवेदन पूर्ण नहीं होने की बात कहकर उन्हें निरस्त कर दिया गया था। बाद में फर्जीवाड़े की जानकारी होने पर सूचना के अधिकार के तहत उन्होंने जानकारी मांगी तो कई षड्यंत्र उजागर हुए।
विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर आरपी सिंह, पूर्व कुलपति एसपी सिंह, एसके शुक्ला, पूर्व कुलसचिव अनिल कुमार देमले और प्रवक्ता पद पर आवेदन करने वाली कविता चतुर्वेदी के खिलाफ जालसाजी समेत अन्य धाराओं में हसनगंज कोतवाली में एफआइआर दर्ज की गई है। अब पुलिस इस मामले में कार्यवाही करने में जुट गई है।
Image Source: Amarujala
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