डॉक्टर अंबेडकर ने दिया था संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाने का प्रस्ताव : जस्टिस बोबडे

देश के प्रधान न्यायाधीश शरद बोबडे ने बुधवार को कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संस्कृत को 'आधिकारिक भाषा' बनाने का प्रस्ताव दिया था क्योंकि वह राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को अच्छी तरह समझते थे और यह भी जानते थे कि लोग क्या चाहते हैं।

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देश में आधिकारिक भाषा और राष्ट्रभाषा को लेकर हमेशा ही एक बड़ी बहस होती चली आई है। देश के लगभग 8 से 9 राज्य हिंदी बोलते तथा हिंदी समझते हैं लेकिन उसके बाद भी हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए लोग प्रयास नहीं करना चाहते। इसी बीच देश के प्रधान न्यायाधीश शरद बोबडे ने बुधवार को कहा है कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाने का प्रस्ताव दिया था क्योंकि वह राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को अच्छी तरह समझते थे और यह भी जानते थे कि लोग चाहते क्या हैं? प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि प्राचीन भारतीय ग्रंथ ‘न्यायशास्त्र अरस्तू’ और पारसी तर्क विद्या से जरा भी कम नहीं है और कोई कारण नहीं है कि हमें इसकी अनदेखी करनी चाहिए और अपने पूर्वजों की प्रतिभाओं का लाभ ना उठाया जाए।

संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के 130 पर जन्मोत्सव पर उन्हें याद करते हुए जस्टिस ने कहा, “आज सुबह मैं थोड़ा उलझन में था कि किस भाषा में मुझे भाषण देना चाहिए। आज डॉ. अंबेडकर की जयंती है जो मुझे याद दिलाती है कि बोलने के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली भाषा और काम के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली भाषा के बीच का संघर्ष बहुत पुराना है।”

न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा,” डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की राय थी कि चूंकि उत्तर भारत में तमिल स्वीकार्य नहीं होगी और इसका विरोध हो सकता है जैसे कि दक्षिण भारत में हिंदी का विरोध होता है। लेकिन उत्तर भारत या दक्षिण भारत में संस्कृत का विरोध होने की कम आशंका थी और यही कारण है कि उन्होंने ऐसा प्रस्ताव दिया किंतु इस पर कामयाबी नहीं मिली।”

न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा,”वह जानते थे कि लोग क्या चाहते हैं, देश का गरीब क्या चाहता है। उन्हें इन सभी पहलुओं की अच्छी जानकारी थी और मुझे लगता है कि इसी वजह से उन्होंने यह प्रस्ताव दिया होगा।” न्यायाधीश ने कहा कि ‘लॉ स्कूल कानूनी पेशे की ‘नर्सरी है। उन्होंने कहा, ”लॉ स्कूल नर्सरी के समान है जहां से हमारे कानूनी पेशेवरों के साथ न्यायाधीशों की पौध भी तैयार होती है। महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के साथ उनमें से कई लोगों के सपने साकार होते हैं। प्रधान न्यायाधीश बोबडे 23 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। न्यायमूर्ति एन वी रमण अगले प्रधान न्यायाधीश होंगे।

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