होम्योपैथी की गुणवत्तापूर्ण मेडिकल शिक्षा मुहैया कराने और भारतीय औषधि प्रणाली को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री श्रीपद नाईक ने दो विधेयक राज्यसभा में पेश किए। आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी विभाग के राज्यमंत्री ने संसद के ऊपरी सदन में विधेयक पेश किया। सदन में सदस्यों की बेहद कम उपस्थिति रहने के बावजूद विधेयक पर चर्चा हुई। सदन ने विधेयक पर बुधवार को भी चर्चा जारी रखने का फैसला किया। भारतीय औषधि प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग विधेयक 2019 राज्यसभा में सात जनवरी 2019 को पेश किया गया था। बाद में इसे स्थायी समिति के पास भेजा गया। स्थायी समिति ने नवंबर में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। यह विधेयक भारतीय औषधि केंद्रीय परिषद अधिनियम 1970 में संशोधन की मांग करता है। दूसरा विधेयक होम्योपैथी के लिए राष्ट्रीय आयोग विधेयक 2019 है। यह विधेयक भी राज्यसभा में जनवरी 2019 में ही पेश किया गया था। यह विधेयक होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम 1973 में संशोधन के लिए लाया गया है। इसमें होम्योपैथी के लिए राष्ट्रीय आयोग गठित करने का प्रस्ताव किया गया है।
आयुर्वेद समेत भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को दुनिया भर में स्वीकार्य बनाने के लिए पहली बार एक साथ कई कदम उठाए गए हैं। इसके लिए आयुर्वेद व भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की पढ़ाई करने वाले विदेशी छात्रों के लिए छात्रवृति की व्यवस्था से लेकर इसमें शोध व अनुसंधान के लिए 23 देशों और 22 विदेशी विश्वद्यालयों के साथ समझौते भी किये गए हैं। इसके अलावा 13 देशों में स्थित विदेशी शिक्षण संस्थाओं में विशेष आयुर्वेद व भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के लिए चेयर भी स्थापित किये जा रहे हैं। इसके अलावा 31 देशों में 33 आयुष सूचना केंद्र भी बनाए गए हैं, जहां भारतीय चिकित्सा पद्धति के बारे में प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध कराया जाता है। लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में आयुष मंत्री श्रीपद नाइक आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों की शुक्रवार को जानकारी दी। इसके तहत भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद माध्यम से 98 देशों के छात्रों के लिए 104 छात्रवृतियों की शुरूआत की है।