DGGI ने GST के अधिकारियों को चेताया, सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियां बड़े पैमाने पर करती हैं टैक्स चोरी

जीएसटी इंटेलीजेंस यूनिट ने कहा है कि चिकित्सीय और थेरापेटिक इस्तेमाल की चीजें 12 फीसदी जीएसटी के तहत आती हैं।

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प्रतीकात्मक चित्र

कोरोना वायरस की रोकथाम करने के लिए कई शोधकर्ताओं और डॉक्टरों द्वारा अल्कोहल बेस हैंड सैनिटाइज़र प्रयोग करने की सलाह दी गयी थी। जिसकी वजह से इसका प्रयोग बढ़ने के साथ ही इन दिनों बाज़ार में इसकी मांग भी काफी बढ़ गयी है। बाजार में मांग बढ़ने से अधिकतर सभी कंपनियों ने हैंड सैनिटाइज़र बनाने का काम शुरू कर दिया। अब हाल ही में खुलासा किया गया है कि अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियां बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी कर रही हैं।

जीएसटी इंटेलीजेंस के महानिदेशक (DGGI) ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) अधिकारियों को चेताया है कि अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियां बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी कर रही हैं। जीएसटी के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर और उप चीफ कमिश्नर को लिखे लेटर में जीएसटी इंटेलीजेंस यूनिट ने कहा है कि कुछ शुगर मिल कंपनियां डिस्टिलरीज अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर बना रही हैं और इसकी आपूर्ति कर रही हैं। वे इस जीएसटी के लिहाज से HSN Code 3004 में वर्गीकृत कर रही हैं जिस पर कि सिर्फ 12 फीसदी जीएसटी लगता है, जबकि सैनिटाइजर HSN Code 3808 के तहत आता है जिस पर 18 फीसदी जीएसटी लगना चाहिए।

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जीएसटी इंटेलीजेंस यूनिट का कहना है कि चिकित्सीय और थेरापेटिक इस्तेमाल की चीजें 12 फीसदी जीएसटी के तहत आती हैं, जबकि फंगीसाइड, पेस्टीसाइड, बायोडीजल आदि पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है। सैनिटाइजर दूसरे वर्ग के तहत आता है। इस लेटर में डीजीजीआई ने संकेत दिया है कि इस तरह से सैनिटाइजर के गलत वर्गीकरण से बड़े पैमाने पर जीएसटी की चोरी की गई है। डीजीजीआई ने ऐसे 62 मैन्युफैक्चरर और सप्लायर की पहचान भी की है जो ऑनलाइन एमेजॉन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, पेटीएम आदि के द्वारा इसे बेच रहे हैं। गौरतलब है कि हाल ही में सरकार द्वारा मास्क और सैनिटाइज़र को ज़रूरी सामान की लिस्ट से हटा दिया गया है। सरकार के इस

फरमान के पश्चात इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (AiMeD) ने कन्ज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी को चिट्ठी लिखी थी। जिसमें कहा गया था कि देश में कोरोना वायरस के बढ़ते हुए मामलों को मद्देनजर रखते हुए सरकार को 2-3 ply मास्क को अगले 6 महीने तक जरूरी सामान की लिस्ट में ही रखना चाहिए। हालांकि, सैनिटाइजर को लेकर रिव्यू की बात कही थी। लेकिन इस सलाह पर गौर न करते हुए सरकार ने इस दरकिनार कर दिया और एक जुलाई को सरकार द्वारा नई लिस्ट जारी की गयी, जिसमें सैनिटाइजर और मास्क शामिल नहीं था। आपको बता दें कि कोरोना वायरस जैसी खतरनाक महामारी को देखते हुए सरकार ने मार्च में मास्क और सैनिटाइजर को उनके निश्चित रेटों के साथ जरूरी समानों की लिस्ट में शामिल किया था।

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