Hypoglycemia | आज के समय में बहुत कम लोग ही अपनी सेहत के प्रति सावधानी बरतते हैं। अधिकांश लोगों ने अपनी लाइफस्टाइल को बिगाड़ लिया है। कई शिफ्ट में काम करने वाले लोग असमय सोते-जागते हैं और उनके खानपान का भी एक नियमति शेड्यूल बन नहीं पाता है। इन सब छोटी-छोटी बातों पर यदि ध्यान न दिया जाए तो आगे चलकर ये बड़ी बीमारी या किसी गंभीर समस्या में तब्दील हो सकती है। आपने बॉडी में शुगर लेवल बढ़ने की बीमारी के बारे में सुना होगा, जिसे डायबिटीज़ (Diabetes) कहते हैं। इसके विपरीत कई बार बॉडी में शुगर लेवल सामान्य से कम (low Sugar level) हो जाता है, जिसे हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) कहते हैं।
क्या होता है हाइपोग्लाइसीमिया?
हमारे शरीर में नॉर्मल शुगर लेवल (Normal Sugar level) 80 मिग्रा/डीएल से 110 मिग्रा/डीएल के बीच होना चाहिए। लेकिन जब यह शुगर लेवल 72 मिग्रा/डीएल से नीचे चला जाता है तो इसे हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं। हाइपोग्लाइसीमिया (hypoglycemia) का यदि सही समय पर उपचार ना किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। बॉडी में शुगर लेवल सामान्य से कम हो जाने पर दौरे पड़ने लगते हैं, और यहाँ तक कि कई बार व्यक्ति को अटैक भी जाता है। इसीलिए बॉडी में शुगर लेवल का बढ़ना जितना खतरनाक माना जाता है, उससे कहीं ज्यादा खतरनाक शुगर लेवल का कम होना यानी हाइपोग्लाइसीमिया है।
हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण
- घबराहट होना
- कमजोरी महसूस होना
- दौरा पड़ना
- कमजोरी के कारण बेहोश होना
- बहुत अधिक पसीना आना
- बार-बार थकान होना
- त्वचा का रंग उड़ना
- चिंता होना
- चिड़चिड़ापन, आदि।
हाइपोग्लाइसीमिया के कारण
हाइपोग्लाइसीमिया के यूं तो कई कारण हो सकते हैं, जिनमें खराब लाइफ स्टाइल, समय पर भोजन न लेना और स्वास्थ्य की ओर ध्यान ना देना आदि शामिल है। लेकिन इसका सबसे प्रमुख कारण है डायबिटीज़ दवाइयों का दुष्प्रभाव। डायबिटीज़ से पीड़ित व्यक्ति अपने शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन की दवाई और इंजेक्शन लेते हैं। लेकिन कई बार इंसुलिन के कारण शुगर लेवल बहुत अधिक कम हो जाता है, जो हाइपोग्लाइमीसिया का मुख्य कारण बनता है। इसके अलावा इंसुलिन की दवाई लेने के बाद भोजन ना करना या फिर एक्सरसाइज करने से पहले इंसुलिन लेने से भी हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा बढ़ जाता है।
मधुमेह के टाइप 2 मरीजों को इससे सबसे अधिक सावधान रहने की जरूरत है। यदि आप सोच रहे हैं कि केवल डायबिटिक मरीजों को ही इससे सावधान रहने की जरूरत है, तो आप शायद गलत सोच रहे हैं। एक आम व्यक्ति भी हाइपोग्लाइसीमिया का शिकार हो सकता है। यदि आपको उपरोक्त लिखे हाइपोग्लाइसीमिया के कोई भी लक्षण नज़र आएं तो अपने शुगर लेवल की जाँच जरूर कराएं। आम आदमी के शरीर में यदि इंसुलिन अधिक मात्रा में बनने लग जाए तो वह भी इस बीमारी की चपेट में आ सकता है।
हाइपोग्लाइसीमिया का इलाज
हाइपोग्लाइसीमिया का इलाज बेहद ही सरल और सामान्य है। यदि आपको हाइपोग्लाइसीमिया से बचना है तो इसके लिए आपको केवल अपनी बॉडी का शुगर लेवल मेंटेंट करने की जरूरत है। इसके अलावा यदि आपको कभी भी हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण दिखाई दें तो उस परिस्थिति में आपको क्या करना चाहिए, उसके लिए हम हाइपोग्लाइसीमिया के कुछ इलाज और उपाय बता रहे हैं-
- शुगर लेवल में कमी आने पर कम से कम 15-20 ग्राम ग्लूकोज़ का किसी भी रूप मे सेवन करें।
- हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ही कुछ मीठा खाएं। जैसे कि टॉफी, कैंडीज़, चॉकलेट, मिठाई या फिर फलों का जूस आदि।
- यदि व्यक्ति का शुगर लेवल 52 मिग्रा/डीएल से कम हो गया है तो तो उसे अटैक, स्ट्रोक या कोमा में जाने का खतरा बढ़ सकता है। इस परिस्थिति में मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना बहुत जरूरी है, जहाँ डॉक्टर्स की निगरानी में उसे सही उपचार मिलेगा।
- डायबिटीज़ और हाइपोग्लाइसीमिया से पीड़ित मरीजों को समय पर अपना नाश्ता एवं भोजन करना चाहिए। ऐसे लोगों को हर 3-4 घंटे में कुछ ना कुछ जरूर खाना चाहिए और व्रत-उपवास आदि करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए।
- गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया से पीड़ित व्यक्तियों को अपने पास ग्लूकॉज़ का इंजेक्शन जरूर रखना चाहिए। कमजोरी महसूस होने या चक्कर आने पर उसका तुरंत इस्तेमाल करना चाहिए।
अन्य ध्यान देने योग्य जरूरी बातें-
हाइपोग्लाइसीमिया (hypoglycemia) से पीड़ित व्यक्तियों को थोड़ा अधिक सावधान रहने की जरूरत है। नीचे दी गई बातों पर ध्यान देने से वे ग्लाइकोसीमिया से होने वाले खतरे को कुछ हद तक कम कर सकते हैं-
- हाइपोग्लाइसीमिया के मरीजों को कभी खाली पेट नहीं रहना चाहिए।
- अपने पास हर वक्त कुछ मीठा सामान जरूर रखें और ग्लूकॉज़ का इंजेक्शन जरूर रखें।
- अपने आसपास मौजूद व्यक्तियों, मित्रों और परिवार वालों को अपनी इस बीमारी के बारे में जरूर बताएं। साथ ही बेहोशी आने या कमजोरी होने पर उन्हें बताएं कि जल्द से जल्द आपको मीठा खिलाएं।
- आपके मित्रों और परिवार वालों को ग्लूकोज़ का इंजेक्शन देने के तरीके के बारे में भी अवश्य पता होना चाहिए।
- समय-समय पर अपनी शुगर लेवल की जाँच अवश्य कराते रहें।
- डॉक्टर द्वारा लिखित दवाइयों का समय पर सेवन करें। एक समय दवाई की भूल के कारण भी आपको गंभीर समस्या भुगतनी पड़ सकती है।