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फिल्म समीक्षाClass of 83 Movie Review: 1980 के दशक में...

Class of 83 Movie Review: 1980 के दशक में भ्रष्टाचार, माफिया और पुलिसकर्मी की जुगलबंदी को बेहतरीन तरीके से दर्शाती है बॉबी देओल की ये नई फिल्म

मुख्य कलाकार: बॉबी देओल, अनूप सोनी, जॉय सेनगुप्ता, समीर, विश्वजीत प्रधान, आदि।

निर्देशन: अतुल सभरवाल

संगीतकार: विजु शाह

मुंबई में अंडरवर्ल्ड का दबदबा और फिर एक काबिल पुलिस ऑफिसर द्वारा उस दबदबे को खत्म करना जैसी कहानी आपने कई फिल्मों में देखी होगी। नेटफ्लिक्स की नई फिल्म ‘क्लास ऑफ 83’ (Class of 83) में भी कुछ इसी तरह की कहानी आपको देखने को मिलेगी। भले ही कहानी बिल्कुल सीधे तौर पर चलती नज़र आती है, इसके बावजूद फिल्म दर्शकों को अपने साथ बांधने में कामयाब होती नज़र आ रही है। यह फिल्म मशहूर पत्रकार एस. हुसैन जैदी द्वारा लिखित पुस्तक ‘क्लास ऑफ 83: द पनिशर्स ऑफ मुंबई’ पर आधारित है। लेकिन फिल्म के निर्देशक अतुल सबरवाल इस फिल्म को काल्पनिक ही बता रहे हैं। फिल्म में बॉबी देओल मुख्य भूमिका में नज़र आ रहे हैं। अगर आप भी यह फिल्म देखने का मन बना रहे हैं तो एक बार यह रिव्यू (class of 83 Review) अवश्य पढ़ लें।

कहानी

सन 1980 के दशक में सरकारी महकमे में भ्रष्टाचार और माफियाओं की दहशत बहुत अधिक बढ़ गई थी। विजय सिंह (बॉबी देओल) नाम का आईपीएस अधिकारी एक काबिल पुलिस अफसर होता है, जिसे सजा के तौर पर एक नासिक स्थित पुलिस ट्रेनिंग अकादमी में डीन बनाकर भेज दिया जाता है। विजय सिंह अपने सख्त मिजाज और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध होता है। पुलिस ट्रेनिंग कैंप में वह पाँच कैंडिडेट्स को चुनता है, जिन्हें वह भ्रष्टाचार और माफियाओं को खत्म करने के लिए ट्रेनिंग देता है। विजय सिंह अपनी निजी ज़िन्दगी में एक हारा हुआ इंसान होता है, लेकिन अपनी ड्यूटी के प्रति उसके अंदर एक अलग ही जज़्बा होता है। उसे लगता है कि गैंगस्टर और माफियाओं को केवल एनकाउंटर के जरिए ही खत्म किया जा सकता है और इसी तरह की ट्रेनिंग वह अपने कैंडीडेट्स को देता है। वह पाँच चुने हुए कैडेट्स विजय सिंह से ट्रेनिंग लेकर अपने मिशन को पूरा करने निकल जाते हैं।

एक्टिंग

बॉबी देओल का करियर हमेशा से ही उतार-चढ़ाव भरा रहा है, लेकिन इस फिल्म से यकीनन उन्हें निर्देशकों और निर्माताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब मिलेगी। 25 वर्षों के करियर में बॉबी पहली बार खाकी वर्दी में नज़र आए हैं। एक आईपीएस अधिकारी के किरदार में वे अपनी छाप छोड़ने में भी वे सफल भी रहे हैं। अपनी ज़िन्दगी से परेशान, निराश और हारे हुए इंसान के किरदार में वह बिल्कुल सटीक नज़र आते हैं। फिल्म में पाँच कैडेट्स के रोल में नज़र आने वाले प्रमोद शुक्ला, विष्णु वर्दे, जनार्दन सुर्वे, लक्ष्मण जाधव और असलम खान की एक्टिंग भी शानदार रही है। इसके अलावा सीनियर पुलिस ऑफिसर के रोल में जॉय सेनगुप्ता और भ्रष्ट मुख्यमंत्री के रोल में अनूप सोनी को भी दर्शक पसंद कर रहे हैं।

निर्देशन

शाहरुख खान के प्रॉडक्शन हाउस ‘रेड चिलीज़ एंटरटेन्मेंट’ ने इस फिल्म के निर्देशन का भार अतुल सभरवाल के कंधो पर डाला था और अतुल ने पूरी जिम्मेदारी के साथ इस भार को संभाला है। फिल्म की एडिटिंग टीम ने शानदार काम किया है, जो इसे बोर और उबाऊ होने नहीं देती। अतुल सभरवाल के निर्देशन में संतुलन और अनुशासन भी नज़र आता है। इससे पहले अतुल वेब सीरीज़ ‘पाउडर’ और फिल्म ‘औरंगज़ेब’ का निर्देशन भी कर चुके हैं। अक्सर देखा जाता है कि इस तरह की कहानी वाली फिल्मों में माफियाओं और पुलिसकर्मी के बीच जबरदस्ती एनकाउंटर के एक्शन सीन्स ठूस दिए जाते हैं, लेकिन अतुल सभरवाल ने इन सब बातों का भी विशेष रूप से ध्यान रखा है।

क्या है फिल्म की खासियत

फिल्म ( Class of 83) में 1983 के दौर की कहानी को बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है। उस समय किस तरह अंडरवर्ल्ड डॉन अपने कदमों पर सरकारी बाबूओं को कंट्रोल करते थे और देश की कानूनी अर्थ व्यवस्था का तमाशा बनाते थे। यह सब आपको काफी दिलचस्प भी लगेगा। फिल्म की कहानी में किसी तरह का सस्पेंस या थ्रिल भी देखने को नहीं मिलता, इसके बावजूद दर्शकों को यह कहानी पसंद आ रही है। अगर बॉबी देओल के फैन रोमांस-ड्रामा से अलग कुछ देखना चाहते हैं तो यह फिल्म जरूर देखेंगे।

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