स्टार कास्ट: भूमि पेडनेकर, अरशद वारसी, माही गिल, जिशू सेनगुप्ता
निर्देशन: जी अशोक
संगीत: तनिश्क बाग्ची
जब भी तमिल या तेलेगु भाषा की कोई फिल्म हिट होती है, तभी से उसके हिंदी वर्ज़न बनाने की तैयारी शुरू हो जाती है। इस हफ्ते रिलीज़ हुई अरशद वारसी और भूमि पेडनेकर की नई फिल्म दुर्गामती (Durgamati) भी टॉलीवुड इंडस्ट्री की हिंदी रीमेक है। लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी रीमेक बनाने के मामले में साउथ फिल्म इंडस्ट्री ने बॉलीवुड को मात दे दी है। फिल्म दुर्गामती को इसकी ऑरिजनल फिल्म भागमी के डायरेक्टर जी अशोक ने ही डायरेक्ट किया है। यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेज़ॉन प्राइम वीडियो पर रिलीज़ हुई है। पिछले दिनों कंचना की रीमेक फिल्म लक्ष्मी रिलीज़ हुई थी, जिसमें अक्षय कुमार लीड रोल में नज़र आए थे। इस बार अक्षय ने निर्माता के तौर पर फिल्म की कमान संभाली है।
कहानी
फिल्म (Durgamati) की कहानी सदियों से चली आ रही हिंदी फिल्मों की तर्ज पर ही आधारित है। मध्यप्रदेश के एक शहर के मंदिरों से लगातार रहस्यमई तरीकों से मूर्तियां चोरी होने की खबर सामने आती है और इस खबर से हर जगह हड़कंप मचा होता है। उसी समय एक राजनेता और मंत्री ईश्वर प्रसाद (अरशद वारसी) यह एलान करते है कि वह 15 दिनों के अंदर यह केस सुलझा देगे, और यदि ऐसा नहीं हुआ तो राजनीति से सन्यास ले लेंगे। इस केस की जिम्मेदारी सीबीआई ऑफिसर सताक्षी गांगूली (माही गिल) को सौंपी जाती है।
वहीं दूसरी ओर एक आईएस ऑफिसर चंचल चौहान (भूमि पेडनेकर) अपने मंगेतर के मर्डर के आरोप में जेल में बंद होती है। मूर्तियों चोरी वाले केस में सीबीआई चंचल से पूछताछ करना चाहती है। पूछताछ के लिए चंचल को शहर के पास ही मौजूद एक हवेली में लाया जाता है, जिससे सभी जानकारी गुप्त रखी जा सके। जिस हवेली में उसे लाया जाता है, वहाँ दुर्गामती की आत्मा भटकती है और शहर के सभी लोग उसे भूतिया हवेली कहते है। अचानक दुर्गामती (Durgamati) की आत्मा चंचल के शरीर में प्रवेश कर जाती है और यहीं से असली फिल्म की कहानी शुरू होती है।
निर्देशन
फिल्म का निर्देशन अच्छा है, लेकिन कुछ कड़ियां बेहद कमजोर नज़र आती है। अशोक ने इस फिल्म को हॉरर बनाने की कोशिश की, लेकिन कुछ सीन्स के अलावा फिल्म कहीं भी दर्शकों को डराती नज़र नहीं आती है। फिल्म की शुरुआत ठीक वैसी ही है, जिस तरह हॉरर फिल्म की होनी चाहिए। फिल्म का क्लाइमैक्स भी काफी मजेदार है, जो दर्शकों को अपने साथ बांधे रखता है। लेकिन उसके बीच की कहानी थोड़ बोर नज़र आती है। फिल्म में लंबाई को 20-25 मिनट कम किया जा सकता था।
एक्टिंग
भूमि पेडनेकर लगातार चुनौतीपूर्ण रोल कर फिल्म इंडस्ट्री में अपना दबदबा बना रही है। लेकिन इस फिल्म में उन्हें स्थापित होने में काफी समय लग गया। जब तक भूमि अपने असली किरदार में आती है और दर्शक उनकी एक्टिंग का लुत्फ उठाना शुरू करते है, इतनी ही देर में फिल्म का द एंड हो जाता है। वहीं अरशद वारसी भी अपनी कॉमिक एक्टर की छवि को पीछे छोड़ अब सीरियस रोल आज़मा रहे है। फिल्म में उनका रोल भी ठीक-ठाक है। लेकिन माही गिल और जिशू सेन गुप्ता के किदरारों ने फिल्म में नाराज़ किया है। इन दोनों कलाकारों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी।
क्या है फिल्म की खासियत
फिल्म (Durgamati) की कहानी में कुछ नयापन नहीं है। यदि आपने फिल्म भागमती देखी है तो यह फिल्म आपको काफी पकाऊ लगेगी। हॉरर देखने के शौकीन लोग एक बार फिल्म देख सकते है, लेकिन उन्हें वह रोमांच फिल्म में नहीं मिलेगा जिसकी वह उम्मीद कर रहे होते है। फिल्म को हॉरर बनाने के लिए कुछ सीन्स जबरदस्ती डाले गए हैं। आधे घंटे तक हवेली की तस्वीरें देखना भी थोड़ा अजीब लगता है। हाँ, साउथ इंडिया की फिल्में पसंद करने वाले लोगों को यह फिल्म पसंद आ सकती है।