धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में बहुत कुछ बदल चुका है। पहले आतंकी संगठन भोले-भाले कश्मीरियों को अपने हमलों का निशाना बनाते थे। पिछले एक महीने में आतंकी संगठनों ने भारतीय जनता पार्टी से जुड़े लोगों को अपने हमले का निशाना बनाना शुरू कर दिया है। पिछले 1 महीने में घाटी में 6 से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ताओं पर आतंकी हमला हो चुका है जिसमें एक कार्यकर्ता अभी भी जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को सरपंचों से मुलाकात की और कहा वे पंचायत से जुड़े कार्यकर्ताओं की हत्या पर बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा कि अब आप की सुरक्षा के लिए बेहतर कदम उठाए जाएंगे।
कश्मीर में पिछले 1 महीने में मारे गए लोगों में भाजपा के दो सरपंच, एक युवा नेता, युवा नेता का भाई और पिता शामिल हैं। इन्हीं हमलों के डर से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े 40 लोगों ने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया है और इन हमलों का सबसे ज्यादा खतरा सरपंचों के ऊपर है क्योंकि यहां पर अधिकतर सरपंच भारतीय जनता पार्टी के हैं। 2019 में सरपंच के चुनाव हुए थे और उसमें पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने भाग नहीं लिया था। धारा 370 हटाने के बाद कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टियां लगभग शांत पड़ी हैं, केवल भारतीय जनता पार्टी ही जमीन पर काम कर रही है।
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय जनता पार्टी इस घटनाक्रम को मौकापरस्ती बता रही है पार्टी के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर कहते हैं कि जो लोग इस्तीफा दे रहे हैं। वे अपना फायदा देख रहे हैं। ये लोग अपने फायदे के लिए दल बदलते रहते हैं इनके लिए देशहित की कोई वैल्यू नहीं है।