Happy Birthday Saurav Ganguly: वो कप्तान जिसने बदल दिया भारतीय क्रिकेट का चेहरा, टीम को बताया जीतना किसे कहते हैं!

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1983 का समय था, जब भारत पहली बार क्रिकेट की दुनिया में अपना नाम कमा सका। 1983 में खेले गए विश्व कप में कपिल देव की कप्तानी में भारत ने पहली बार विश्व कप जीत कर इतिहास रच दिया। उस दौर के बाद हर भारतीय ने क्रिकेट को अलग नज़रिए से देखना शुरू कर दिया था। लेकिन कुछ ही समय बाद टीम इंडिया क्रिकेट की दुनिया में उतनी आक्रामक नज़र नहीं आयी। भारत को जरुरत थी एक ऐसे कप्तान (Saurav Ganguly) की जो टीम को जीतने का मतलब सिखाए।

इसके बाद भारतीय टीम को सौरव गांगुली (Saurav Ganguly) के रूप में एक ऐसा सितारा मिला जिसने भारतीय क्रिकेट को पूरी तरह से ही बदल कर रख दिया। 8 जुलाई को सौरव गांगुली अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं। भले ही भारत के लिए महेंद्र सिंह धोनी को सबसे सफल कप्तान माना जाता हो लेकिन विदेशी धरती पर कैसे जीतना है ये भारत को सौरव गांगुली ने ही सिखाया। गांगुली ने खिलाड़ियों के अंदर वो आत्मविश्वास पैदा किया था, जिसकी कमी पिछले करीब दो दशक से देखी जा रही थी। गांगुली की कप्तानी में ही भारत 21 टेस्ट जीत पाया था। उनकी कप्तानी में ही भारत ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका की धरती पर सर उठा कर जीतना सीखा था।

गांगुली ने बताया जीत का असली मतलब

90 के दशक के बाद टीम इंडिया ने नई ऊंचाइयों को छूना शुरू कर दिया था। समय बदल चुका था, नई सदी में भारत की कप्तानी गांगुली को सौंपी गई। गांगुली (Saurav Ganguly) ने कप्तान बनते ही भारतीय क्रिकेट और इस टीम के खिलाड़ियों में नया जोश पैदा कर दिया। भले ही गांगुली के नाम कोई बड़ी उपलब्धि दर्ज न हो लेकिन उन्होंने साल 2003 के वर्ल्ड कप के फाइनल में टीम को पहुंचाया था। इसके अलावा आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल भी भारत ने खेला था।

लॉर्ड्स का वो ऐतिहासिक पल

गांगुली की कई यादगार पारियों के लिए फैंस उनके दीवाने हैं लेकिन 13 जुलाई 2002 को लॉर्ड्स की बालकनी में उतारी गयी टी-शर्ट उनके करियर का सबसे यादगार लम्हा है। भारत के साथ पूरे इंग्लैंड ने उस समय गांगुली की दादागिरी देखी थी। 13 जुलाई 2002 को इंग्लैंड के लॉर्ड्स में नेटवेस्ट ट्रॉफी का फाइनल खेला गया था। जैसे ही मैच के आखिरी पलों में जहीर खान और कैफ ने भारत को जीत दिलाई। लॉर्ड्स की बालकनी में गांगुली ने अपनी टी-शर्ट उतारी और ऐसे लहराई की वो लम्हा इतिहास के पन्नो में हमेशा के लिए दर्ज हो गया।

धोनी, युवराज, हरभजन जैसे खिलाड़ी गांगुली की देन

भारतीय क्रिकेट को अगर धोनी, युवराज, सहवाग, जहीर खान और हरभजन जैसे खिलाड़ी मिले तो वो गांगुली की ही देन थे। सहवाग को गांगुली ने पारी का आगाज़ करने के लिए आगे भेजा। जिसके बाद वह भारत के सबसे सफल सलामी बल्लेबाज बने। धोनी को शुरुआती कुछ मैचों में फ्लॉप होने के बाद भी टीम में गांगुली के कहने पर ही चुना गया। युवराज सिंह, हरभजन सिंह और जहीर खान जैसे युवा क्रिकेटर्स को भी गांगुली ने ही बैक किया और भारत को एक से एक नायाब क्रिकेटर दिए।

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