देश के लोकतंत्र का सर झुका देने वाली कल की घटना निश्चित रूप माफी के योग्य नहीं है।देश के स्वाभिमान लाल किले में घुसकर उपद्रवियों ने लाल किले के द्वार को नुकसान पहुंचाया वहां की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।अब सूत्रों के अनुसार यह बताया जा रहा है कि इस पूरी घटना में 313 पुलिसकर्मी घायल हो चुके हैं और कई पुलिस कर्मियों का इलाज अभी भी चल रहा है,वहीं दूसरी तरफ यह माना जा रहा है कि अब तक 200 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली में हुई हिंसा पर आज किसान यूनियन अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी और इस पूरे घटनाक्रम के बारे में अपने विचार रखेगी। हालांकि उनके विचार रखने से कुछ भी नहीं होगा पहले ही किसान नेताओं ने पल्ला झाड़ दिया है कि हमारे किसी भी व्यक्ति ने यह कार्य नहीं किया है। किसान नेताओं की बात सुनकर तो ऐसा लग रहा है कि जैसे किसी आसमानी शक्ति ने आकर दिल्ली को तहस-नहस कर दिया हो और लाल किले पर धर्म विशेष का झंडा फहरा दिया हो।
इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए आपके मन में कुछ सवाल उठ रहे होंगे, जिनके जवाब देश के नेताओं को और किसान आंदोलनकारियों को देने चाहिए।
- जब आप इतनी बड़ी परेड निकालने के मूड में थे तो आपने पुलिस से पूरी शिद्दत के साथ बातचीत क्यों नहीं की?
- जब परेड हिंसा का रूप ले रही थी तब आप लोगों ने उन आंदोलनकारियों को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की?
- जब लोग तलवार लेकर पुलिसकर्मियों पर वार कर रहे थे तब किसान नेता कहां थे?
- आपकी शत्रुता प्रधानमंत्री मोदी से थी आप की शत्रुता तीनों कानूनों से थी लेकिन आपने जिस तरह से दिल्ली में घुसकर पुलिसकर्मियों पर हाथ उठाया क्या आंदोलन के नाम पर यह सब जायज है?
- क्या एक महिला पुलिसकर्मी को चार लोग घेर कर मारने का प्रयास करते हैं यह आंदोलन का स्वरूप था?
- जब गणतंत्र दिवस पर इतनी बड़ी घटना घटित हो गई उसके बाद भी किसान नेता जिम्मेदारी लेने के लिए क्यों तैयार नहीं है?
- जब शर्तों में यह बात तय हुई थी कि कोई भी व्यक्ति अपने ट्रैक्टर के साथ ट्रॉली नहीं लेकर जाएगा और एक ट्रैक्टर में महज 5 लोग होंगे तो इस शर्त का उल्लंघन किया गया?
- जब यह बात तय हुई थी कि कोई भी व्यक्ति रैली में हथियार लेकर नहीं जाएगा तो फिर लाल किले पर हथियार क्यों लहराए गए?
- जब इस बात पर मुहर लगी थी कि किसी भी तरह से रोड पर कोई भी व्यक्ति स्टंट नहीं करेगा तब पुलिसकर्मियों को मारने के लिए ट्रैक्टर से स्टंट क्यों किए गए?
इन सभी सवालों का जवाब तो किसान नेताओं और किसानों के बीच में देश को बर्बाद करने वाले उपद्रवियों को देना होगा। और देखना यह भी होगा कि हमारे देश की सरकारें उग्रवादियों के खिलाफ क्या एक्शन लेती है क्या फिर इसी तरह से 1 फरवरी को संसद भवन पर हंगामा किया जाएगा?