2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव होने हैं। सत्ता से बाहर बैठे हुए अखिलेश यादव और मायावती लगातार यह प्रयास कर रहे हैं कि किसी भी प्रकार से दोबारा सत्ता में वापसी की जाए? हमेशा मुस्लिम और यादवों को अपने साथ लेकर सरकार बनाने वाले अखिलेश यादव अब दलितों को भी अपने साथ लेने की कोशिश में है। बताया जा रहा है अखिलेश यादव ने पहले अंबेडकर जयंती पर दलित दीपावली मनाने की अपील की थी और अब समाजवादी पार्टी बाबासाहेब वाहिनी का गठन भी करेगी। 2012 की विधानसभा चुनाव के बाद बहुजन समाज पार्टी का ग्राफ लगातार प्रदेश में गिरता रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में तो बहुजन समाज पार्टी का खाता भी नहीं खुला था। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों ने यह बता दिया कि अब प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी नहीं बल्कि बहुजन समाज पार्टी बनेगा। 2019 के लोकसभा चुनावों में भी मायावती ने बहुत बड़ा चुनावी प्रचार नहीं किया था ऐसे में यह माना जा रहा है कि मायावती की निष्क्रियता का फायदा समाजवादी पार्टी उठाना चाहती है। समाजवादी पार्टी दलित वोटर्स को अपनी ओर एकत्रित करना चाहती है जिनका का प्रतिशत प्रदेश करीब 23 है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 14 अप्रैल को संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती को दलित दीवाली मनाने का एलान किया है। सपा कार्यकर्ता व नेता पार्टी कार्यालय और अपने घरों-सार्वजानिक स्थलों पर दीप जलाकर बाबा साहब को नमन करेंगे। इतना ही नहीं अखिलेश ने शनिवार को लोहिया वाहिनी की तर्ज पर बाबा साहेब वाहिनी का गठन करने का भी ऐलान किया है। अखिलेश यादव के द्वारा बाबा साहब अंबेडकर की जयंती को इस प्रकार से मनाना यह निश्चित रूप से संदेश देता है कि वे दलितों को बताना चाहते हैं कि उनका यह दलित प्रेम नया नहीं है बल्कि समाजवादी पार्टी हमेशा ही दलितों की हितेषी रही है।