पांच राज्यों में करारी हार का सामना करने के बाद अब यह माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी बिखराव की ओर बढ़ चुकी है। पंजाब और राजस्थान में बगावत के सुर उठने लगे हैं। पार्टी के नेता आपसी विवाद में फंस चुके हैं। इसीलिए यह माना जा रहा है कि भारत के लोकतंत्र पर लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस अब अपने पतन की ओर बढ़ चुकी है। राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच का विवाद अब सामने आ चुका है। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया का भाजपा में आना कांग्रेस के लिए काफी बुरा साबित हो चुका है। वहीं महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस को लेकर भी बहुत सारी चर्चाएं सामने आ रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि एनसीपी कांग्रेस को भीतर ही भीतर तोड़ने की कोशिश कर रही है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान महा विकास आघाडी सरकार के दो प्रमुख दल शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस ममता बनर्जी के समर्थन में वोट मांग रहे थे। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस खुद लेफ्ट के साथ चुनाव लड़ रही थी। ऐसे में जहां एक तरफ जो पार्टियां कांग्रेस के साथ सरकार में है वही पार्टियां पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ नहीं आयीं।कांग्रेस पार्टी के कई प्रमुख नेताओं का यह कहना है कि बहुत सारी पार्टियां यह चाहती हैं कि कांग्रेस कमजोर हो जाए जिससे कांग्रेस की कमजोरी का फायदा भाजपा की दूसरी विपक्षी पार्टियों को विभिन्न राज्यों में मिलेगा।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने चुनाव से पहले कांग्रेस से आए पीसी चाको को केरल प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस एनसीपी के इस कदम को शक की निगाह से देख रही है। पीसी के पास केरल में ईसाइयों का अच्छा वोट बैंक है, जिसे लेकर कांग्रेस चिंतित हो चुकी है। कांग्रेस को ऐसा लग रहा है कि कहीं हमारा बचा हुआ वोट बैंक भी अब एनसीपी के खाते में ना चला जाए। केरल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हार के बाद पार्टी कार्यकर्ता और नेता मायूस हैं। कई नेता पार्टी नेतृत्व से भी नाराज हैं। पर उनके पास अभी तक कोई दूसरा विकल्प नहीं था। पीसी चाको के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद यह नेता और कार्यकर्ता एनसीपी में शामिल हो सकते हैं। खुद चाको भी खुद को साबित करने के लिए कुछ नेताओं को तोड़ सकते हैं।