अयोध्या के बाद मथुरा और मथुरा के बाद अब काशी, हिंदू संगठनों ने कभी यह नारा दिया था, “अयोध्या तो केवल झांकी है काशी मथुरा बाकी है!” इस नारे की हकीकत अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। सबसे पहले हिंदू संगठन के नेताओं ने तथा हिंदूवादी लोगों ने अयोध्या का बाबरी मस्जिद से मुक्त कराया और उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में वहां पर भारत का नेतृत्व करने वाले भगवान श्री राम का मंदिर अब बनाया जा रहा है। कुछ समय पहले ही यह खबर आई थी कि मथुरा के भगवान श्री कृष्ण जन्म भूमि को लेकर भी एक नई याचिका कोर्ट में दायर करा दी गई है। वहीं अब यह खबर आ रही है कि प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र और भगवान महादेव की नगरी काशी में भी ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक नया मामला दायर कर दिया गया है। ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर पहले से ही एक मामला काशी की अदालत में चल रहा है लेकिन एक और मामला अब काशी की अदालतों में जाने को तैयार हो चुका है।
वाराणसी के सीनियर सिविल डिवीजन कोर्ट में भगवती श्रृंगार और गौरी प्राचीन विश्वेश्वर की ओर से इस मामले में नई याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका को कोर्ट ने स्वीकार किया और गुरुवार को इस याचिका पर बहस भी की गई। अभी तक इस बात पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि इस मामले पर अलग से बहस की जाएगी या पुराने मामले के साथ ही इस पर भी विचार किया जाएगा। भगवती श्रृंगार और गौरी प्राचीन विश्वेश्वर की ओर से दाखिल की गई इस याचिका में 9 लोगों का नाम शामिल है।याचिकर्ताओं ने भारत संघ, उत्तर प्रदेश सरकार, डीएम, एसएसपी, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और ट्रस्ट काशी विश्वनाथ मंदिर को प्रतिवादी बनाया है।
जानिए याचिका के बारे में :
इस याचिका के जरिए कोर्ट से अनुरोध किया गया है, “देवी गंगा, हनुमान, गणेश, नंदी और आदि विश्वेश्वर के साथ मां शृंगार गौरी के उपासक समर्पित देवी-देवताओं के पूजा करने के अधिकारी हैं। अनुरोध किया गया कि काशी विश्वनाथ मंदिर के न्यासी मंडल को शृंगार गौरी, आदि विश्वेश्वर और अन्य देवी देवताओं के पूरे क्षेत्र में पूजन बहाल करने की अनुमति दी जाये।”