अनेक रोगों को ठीक करने के लिए सिर्फ एक ही औषधि काफी हैं जो रोगों को समाप्त कर जीवन में सुख चैन बनाए रखने में समर्थ हैं। अपामार्ग औषधि पूरे भारत में पाई जाती हैं। इस औषधि को कई अन्य नामों से भी जाना जाता हैं जैसे कि मयूरक, खरमंजरी, मर्कटी, शिखरी, चिरचिटा आदि नामों से प्रचलित यह वनस्पति पूरे देश में उपलब्ध हैं। बरसात के मौसम में उगने वाला अपामार्ग का पौधा भले ही दिखने में छोटा क्यों ना हो, लेकिन इसके फायदे बड़े-बड़े है और ये अनेक रोगों से शरीर की रक्षा करता है।
वैसे आकार में ये करीब 70 से 120 सेंटीमीटर तक ही होता है और ये दो रंगों लाल और सफ़ेद में ही पाया जाता है। इसका हर तना काँटों से घिरा होता है जोकि उल्टे होते है और इसीलिए साधारण भाषा में ये उल्टे कांटे के नाम से बहुत विख्यात है। इसके यही कांटे इसके फल भी होते है। तो आइये अब ये जानते है कि अपामार्ग का ये पौधा हमारी किन किन रोगों से बचने में सहायता करता है-
नेत्र रोग
2 ग्राम अपामार्ग मूल चूर्ण में मधु मिलाकर 2-2 बूंद आँख में डालने से आँखों के सभी विकारो में लाभ होता है।
मुंह के रोगों में उपयोग
अपामार्ग की जड़ से प्रतिदिन दातुन करने से दन्त चमकने लगते है तथा दांतों का हिलना, मसूड़ों की कमजोरी, तथा मुंह की दुर्गन्ध को दूर करता है।
कानों के रोग के लिए
अपामार्ग क़ी जड़ को साफ़ धो कर इसका रस निकालकर बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर आग में पकाकर, तेल शेष रहने पर छानकर किसी शीशी या बोतल में भरकर रख लें, हो गया ईयर ड्राप तैयार। अब इसे दो-दो बूँद कानों में डालने से कान के विभिन्न रोगों में लाभ मिलता है।
खांसी और दमा
अपामार्ग क़ी जड़ को बलगमयुक्त खांसी और दमे जैसी स्थितियों में चमत्कारिक रूप से प्रभावी पाया गया है। अपामार्ग क़ी क्षार क़ी 500 मिलीग्राम क़ी मात्रा में लेकर इसमें शहद मिलाकर सुबह शाम चाटने मात्र से कफ़उत्क्लेषित होकर बाहर आ जाता है, यह योग बच्चों में विशेष रूप से फायदेमंद होता है।
सरदर्द में आराम
बता दे कि अगर किसी को सरदर्द की समस्या हैं तो केवल सूघने मात्र से दर्द में आराम होता हैं। यदि सिर में अक्सर भारीपन जैसी समस्या रहती हैं तो इसके सूघने मात्र से आराम मिलता हैं।