क्या राजस्थान में बचेगी कांग्रेस की सरकार या राजस्थान की कमान होगी पायलट के हाथों में

राजस्थान में लगातार राजनीतिक उथल-पुथल जारी है। इसी बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने विधायकों के साथ एक मीटिंग की है। जिसमें उनके समर्थकों ने बताया कि अशोक गहलोत के साथ 100 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। तो वहीं उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थक कह रहे हैं कि सचिन पायलट के पास 30 विधायकों का समर्थन है।

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कोरोना संक्रमण के बीच लगातार दूसरी बार किसी कांग्रेसी शासित राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर संकट आ रहा है। कोरोना संक्रमण के बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की कुर्सी छिन गई थी। अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद अशोक गहलोत की कुर्सी भी छिन सकती है। हालांकि आज अशोक गहलोत ने अपने समर्थकों के साथ मीटिंग की और उनके समर्थकों ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास पूर्ण बहुमत है। वहीं उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थकों ने कहा कि उनके पार्टी से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। कल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस विधायक दल की मीटिंग बुलाई है जिसमें सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक नहीं जाएंगे।

कुछ सूत्रों के अनुसार यह भी कहा जा रहा है कि कल सचिन पायलट भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम सकते हैं। कुछ रिपोर्ट के अनुसार यह बताया जा रहा है कि कल सचिन पायलट भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की अध्यक्षता में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। इससे पहले उनके पुराने साथी और करीबी मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में आ चुके हैं। यह भी कहा जा रहा है कि सचिन पायलट के समर्थक विधायक आज रात में ही राज्यपाल को अपना इस्तीफा भेज सकते हैं।

राजस्थान में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी अपनी ही पार्टी पर निशाना साधा और कहा, “राजस्थान में कांग्रेस के संकट पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने चिंता जताई। सिब्बल ने कहा कि हम कब जागेंगे? उन्होंने कहा कि क्या हम तब जागेंगे जब हमारे घोड़े अस्तबल से निकल चुके होंगे।”

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भी चला था कई दिन सियासी ड्रामा

ठीक इसी प्रकार का घटनाक्रम महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में हुआ था। महाराष्ट्र में भाजपा 105 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। 56 सीटों के साथ शिवसेना दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की और अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। लेकिन, यह सरकार 80 घंटे तक ही चल सकी। इसके बाद शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन से उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। उद्धव सरकार अभी तक स्थिर तो है लेकिन लगातार ऐसा लगता रहता है कि कहीं ना कहीं किसी दिन महाराष्ट्र में भी सरकार ना गिर जाए।

इसी प्रकार का घटनाक्रम मध्यप्रदेश में हुआ। 8 मार्च को कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ बीजेपी का हाथ थामने के बाद 22 कांग्रेसी विधायक भी बागी हो गए। इसके बाद फ्लोर टेस्ट हुआ, जिसमें कमलनाथ सरकार बहुमत सिद्ध नहीं कर पाई। लिहाजा कमलनाथ सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान उर्फ ‘मामा’ की फिर से मध्‍य प्रदेश की सत्‍ता में वापसी हो गई। एक यही हाल इस समय राजस्थान की राजनीति में हो रहा है। ऐसा लग रहा है कि अगर सचिन पायलट भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करते हैं तो शायद राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार अल्पमत में आ जाएगी और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार बनाने में सक्षम हो जाएगी।

आइये समझते हैं राजस्थान में सीटों का गणित

इस समय कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक दर्जन निर्दलीय और अन्य विधायकों का समर्थन भी प्राप्त है। राजस्थान विधानसभा में भाजपा और रालोपा के 75 विधायक हैं। इस स्थिति में अगर कांग्रेस के दो दर्जन विधायक इस्तीफा देते हैं तो कांग्रेस के पास 83 और भारतीय जनता पार्टी तथा रालोपा के पास 75 विधायक होंगे। ऐसे में बहुमत के लिए 89 विधायकों की आवश्यकता होगी अर्थात कांग्रेस को 6 विधायकों की और भारतीय जनता पार्टी को 14 अन्य विधायकों की आवश्यकता होगी।

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