अभिनेता व पूर्व BJP सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा है कि, आखिर ऐसी क्या बात हो गई कि एक-एक करके भारत के सभी पड़ोसी देशों से हमारे रिश्ते खराब होते जा रहे हैं। पाकिस्तान और चीन से हमारे रिश्ते कुछ तनावपूर्ण हमेशा ही रहे हैं, लेकिन अब कुछ अन्य देशों से भी हमारे रिश्तों में दरार आ रही है। उन्होंने कहा कि हमें इस मुद्दे पर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और विदेश नीति पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इस दौरान शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि किसी मुद्दे पर विरोध करना एक अलग बात है, लेकिन किसी को प्रधानमंत्री की नियत पर शक नहीं होना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, “यह ऐसा समय है जब पूरे देश को हमारी सेना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ देना चाहिए। हर मुद्दे पर हर किसी के विचार भिन्न होते हैं लेकिन उस पर सही समय पर चर्चा की जा सकती है। हालांकि ऐसे समय में पूरी दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि हम सब एक हैं और इसके लिए सबको एक साथ आना चाहिए। उन्होंने मीडिया के एक वर्ग की भाषा पर उन्होंने आपत्ति जताई और कहा कि ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर बेहद सधी और शांतपूर्ण बातचीत होनी चाहिए, लेकिन कुछ लोग इस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, जिनसे संबंध बनने की बजाय बिगड़ने की आशंका ज्यादा होती है।”
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इस दौरान शत्रुघ्न सिन्हा ने BJP के साथ अपने रिश्तों को लेकर चर्चा करते हुए उन्होंने आज भी भाजपा को अपना पहला घर बताया और कहा कि यहीं से उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। नानाजी देशमुख, अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी से उन्होंने यही सीखा था कि स्वयं से बड़ी पार्टी होती है और पार्टी से बड़ा देश। बुजुर्ग नेताओं से मिली इसी सीख के कारण उन्होंने नोटबंदी जैसे कुछ फैसलों पर सरकार का विरोध किया। देश के युवाओं, किसानों और गरीबों के हक में उठाई गई उनकी यही बात कुछ लोगों को अच्छी नहीं लगी जिसके बाद कुछ इस तरह की परिस्थितियां बनीं कि उन्हें भाजपा से अलग राह चुननी पड़ी।
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