पूरा विश्व इस समय कोरोनावायरस के इलाज के लिए दवा ढूंढने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई भी कारगर वैक्सीन इस वायरस को मात देने के लिए तैयार नहीं हो पाई है। भारतीय डॉक्टर्स कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को प्लाज़्मा थैरेपी (Plasma Therapy) के जरिए ठीक करने की कोशिश कर रहे है। अच्छी बात यह है कि ये थैरेपी सही काम कर रही है और इससे कोरोनावायरस के कुछ मरीज स्वस्थ्य भी हो चुके है। लोगों को अभी तक इस थैरेपी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है और कुछ लोग इसे जादुई थैरेपी का नाम भी दे रहे हैं।
आपको बता दे प्लाज़्मा थैरेपी (Plasma Therapy) कोई जादू नहीं है, बल्कि इस थैरेपी का इस्तेमाल कई सालों से किया जा रहा है। असल में इस थैरेपी में कोरोना वायरस को मात दे चुके व्यक्ति के शरीर से प्लाज़्मा निकाला जाता है। ऐसा इसीलिए क्योंकि एक बार किसी वायरस से संक्रमित होकर उसे मात देने के बाद शरीर में उस वायरस का एक एंटीडोट बन जाता है। प्लाज़्मा थैरेपी में स्वस्थ्य मरीज के शरीर से प्लाज़्मा निकालर संक्रमित मरीज के शरीर में ट्रांस्फर कर दिया जाता है। ऐसा करने से संक्रमित व्यक्ति के शरीर में भी उस वायरस का एक एंडीडोट बन जाता है, जिससे उसे वायरस से लड़ने में मदद मिलती है।
एक कोरोना वायरस सर्वाइवर के शरीर से कुल 400 मिलीलीटर प्लाज़्मा निकाला जाता है, जो 200-200 एमएल के अनुसार दो संक्रमित मरीजों को चढ़ाया जा सकता है। आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडीकल रिसर्स) ने फिलहाल दिल्ली और कर्नाटक में प्लाज़्मा थैरेपी के इस्तेमाल को मंजूरी दी है। इसके सकारात्मक नतीजों के बाद देश के कई बड़े अस्पताल भी आईसीएमआर से इस थैरेपी (Plasma Therapy) के इस्तेमाल की अनुमति मांग रहे है।