तालिबानियों के आतंक की कहानी उन लोगों से पूछिए जिन्होंने खुद अफगानिस्तान में रहते हुए तालिबानियों के आतंक का सामना किया। आज के समय में हम आपको उन लोगों को बताने वाले हैं। खातिरा हाशमी की अफगानिस्तान में पुलिस फोर्स संग काम करती थीं। वे एक पुलिस इंस्पेक्टर थी। उन्हें अपने परिवार का पूरा साथ मिलता था। लेकिन फिर 2020 में तालिबान ने उन्हें धमकियां देना शुरू कर दिया। लेकिन तालिबानियों को ये बात रास नहीं आयीकि एक महिला पुलिस में कैसे काम कर सकती है। खातिरा के मुताबिक उनके पति को लगातार धमकियां दी जाती थीं। कहा जाता था कि अपनी पत्नी को बाहर काम करने से रोको…लेकिन जब उन धमकियों के बावजूद भी खातिरा काम करती रहीं, तो तालिबान ने अपनी औकात पर आ गया। उसकी तरफ से उस महिला को सात गोलियां मार दी गईं। इस बेरहम आतंकी संगठन ने इसके बाद खातिरा की आंखें भी बाहर निकाल लीं। खातिरा को मरा हुआ समझकर वो तालिबान बीच सड़क पर छोड़कर चले गए। फिर पुलिस द्वारा ही खातिरा को एक अस्पताल ले जाया गया जहां पर उनका लंबे समय तक इलाज चला। हालांकि उसकी जान तो बच गयी लेकिन उसकी आखें हमेशा के लिए चली गयीं।
अफगान पत्रकार शाहीन मोहम्मदी इस समय भारत में शरण लेकर बैठी हैं। उनके साथ भी तालिबानियों ने वह किया जिसकी आप सोच भी नहीं सकते हैं। शाही ने बताया कि उन्होंने लंबे समय तक अमरिका के लिए काम किया है। वे पेशे से पत्रकार हैं और अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के संपर्क में रहती थीं। लेकिन जब तालिबान को जब इस बात का पता चला तो वे अपनी औकात पर आ गये। और शाहीन मोहम्मदी का पूरा चेहरा ही बिगाड़ दिया। ऐसी हिंसा को अंजाम दिया गया कि आज शाहीन के आधे सिर पर कोई बाल नहीं बचे हैं, वहीं उन्होंने अपना चेहरा भी प्लास्टिक सर्जरी कर ठीक करवाया है
आपको बता दें कि शाहीन ने आजतक को बताया है कि तालिबान अल्लाह के नाम पर महिलाओं संग हर तरह का जुल्म करता है। उनके अनुसार जिसने भी अमेरिका या फिर पुरानी सरकार संग काम किया है, तालिबान उन्हें नहीं छोड़ता।