पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की विजय के बाद हुई हिंसा में भारतीय जनता पार्टी और संघ से जुड़े लोगों को नुकसान पहुंचाया गया है। हालांकि बीजेपी के कार्यकर्ताओं का भी यह कहना है कि भाजपा ने केंद्र सरकार में रहते हुए भी कोई बड़ा कदम नहीं उठाया। इसके चलते देश भर में भाजपा को नाराजगी भी सहन करनी पड़ी है। लेकिन अब बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अभी बंगाल छोड़ने के मूड में नहीं है। लोगी मानते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ पूरी ताकत के साथ काम करेगा। आरएसएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हिंसक हमलों से आरएसएस के समर्थन और जनाधार को कम करने की साजिश सफल नहीं होने दी जाएगी।
दैनिक जागरण में छापे गए एक इंटरव्यू के दौरान एक वरिष्ठ स्वयंसेवक ने कहा कि 2018 के बाद बंगाल में भाजपा के उत्थान के साथ-साथ बढ़ी राजनीतिक हिंसा को वामपंथी शासन के दौरान बड़े पैमाने राजनीतिक हत्याओं की कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए। उनके अनुसार वामपंथी शासन में 1999 तक 50 हजार से अधिक राजनीतिक हत्याएं की गईं, लेकिन इसके बावजूद वह लंबे समय तक अपनी सत्ता नहीं बनाए रख सके। इसी तरह चुनावी जीत के बावजूद ममता बनर्जी लंबे समय तक राष्ट्रवादी ताकतों को दबाने में कामयाब नहीं हो पाएंगी।
आरएसएस के पदाधिकारी ने कहा कि अब बंगाल में बड़ी संख्या में लोग हिंसा के खिलाफ दिखने लगे हैं और भाजपा को 38 फीसद से अधिक वोट मिलना इसका सुबूत है। भाजपा अपनी हार का अलग से विश्लेषण करेगी, लेकिन संघ परिवार इस मुश्किल घड़ी में अपने कार्यकर्ताओं के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा और उनकी हरसंभव मदद करेगा। हिंसा को तत्काल रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर इसके खिलाफ माहौल बनाने से लेकर अन्य सभी विकल्पों पर काम किया जाएगा।