लॉकडाउन और कोरोना की दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर पड़ा कम प्रभाव, कुछ जगह गिरावट तो कहीं सामान्य रहे आंकड़े

कोरोना संक्रमण की इस दूसरी लहर का प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा पढ़ता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि इस संक्रमण काल के दौरान मजदूरों का ज्यादा पलायन नहीं हुआ, तथा औद्योगिक संयंत्र बंद नहीं हुए।

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सांकेतिक चित्र

कोरोनावायरस की इस दूसरी लहर का प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर उतना नहीं पड़ा जितना पहली लहर में पढ़ा था। इसका सबसे बड़ा कारण है कि पूरे देश में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन नहीं लगाया गया। ना ही इस बार मजदूरों का उस तरह से पलायन हुआ जैसा पिछली बार देखा गया। संक्रमण के प्रभाव को देखते हुए अलग-अलग प्रदेश सरकारों ने अपने अपने हिसाब से प्रदेश में कर्फ्यू तथा लॉकडाउन का ऐलान किया लेकिन इसमें भी औद्योगिक संयंत्र बंद नहीं किए गए। सार्वजनिक परिवहन बस रेल इत्यादि की सेवा अभी भी चल रही है। ऐसे में अर्थव्यवस्था पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ सकता था।

पिछले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में हुए देशव्यापी लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था 23.9 प्रतिशत सिकुड़ गई थी। लेकिन इस बार लॉकडाउन राष्ट्रव्यापी नहीं था बल्कि प्रदेश व्यापी था। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों और विशेषज्ञों का मानना था कि इस वर्ष जीडीपी की वृद्धि दर 12 प्रतिशत के आसपास रहेगी। लेकिन जेपी मॉर्गन ने इसे घटाकर 11 प्रतिशत कर दिया है जबकि मूडीज के अनुसार, यह 9.3 प्रतिशत रहेगी। अप्रैल के महीने में वाहनों की बिक्री 30 प्रतिशत घट गई। जबकि मनरेगा के तहत रोजगार की मांग 2.45 करोड़ हो गई। ट्रैक्टर और मोटरसाइकिल की बिक्री में दहाई अंक में आई कमी ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर का संकेत है।

अप्रैल के महीने में सरकार को जीएसटी से रिकॉर्ड 1.42 लाख करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति हुई है। इस लॉकडाउन में भी सार्वजनिक परिवहन बंद नहीं हुए। रेल बस आदि की सेवाएं अभी भी चल रहीं हैं। लेकिन होटल,रेस्टोरेंट, धर्मशालाओं इत्यादि पर बड़ा प्रभाव पड़ा है।

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