पाकिस्तान में फिर शुरू हुए अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, तेजी से छीनी जा रही है अल्पसंख्यकों की स्वतंत्रता

पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में आ चुकी है। पाकिस्तान की सरकार के द्वारा ईशनिंदा कानून और एंटी अहमदिया कानून के कारण अब अल्पसंख्यकों का खूब शोषण किया जा रहा है। अमेरिका के मानवाधिकार परिषद ने अपनी सालाना रिपोर्ट में इन गंभीर स्थितियों का विस्तार से हवाला दिया है।

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पाकिस्तान में हमेशा ही अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होते रहे हैं। लेकिन अब बताया जा रहा है पाकिस्तान में पूरी ताकत के साथ अल्पसंख्यकों का शोषण शुरू हो गया है। अमेरिका के मानवाधिकार परिषद ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में पाकिस्तान के भीतर दिखाई देने वाली गंभीर परिस्थितियों के बारे में बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की सरकार ही अल्पसंख्यकों के खिलाफ नियोजित तरीके से काम कर रही है। इसमें ईश निंदा कानून को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। विदेशी आतंकियों से देश के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा देने में सरकार नाकाम साबित हो रही है। लोगों को निशाना बनाकर उनकी हत्या के मामलों में तेजी आई है। जबरन धर्म परिवर्तन के नाम पर हत्याओं का सिलसिला लगातार जारी है।

बताया जा रहा है पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के लोगों के साथ ही अत्याचार किए जा रहे हैं। रिपोर्ट में जबरन अपहरण, धर्म परिवर्तन और अल्पसंख्यक महिलाओं व लड़कियों के उत्पीड़न के मामलों का भी उल्लेख किया गया है। ऐसे अपराध विशेषतौर पर हिंदुओं और ईसाइयों के साथ हो रहे हैं। अमेरिका के द्वारा प्रस्तुत की गई इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के न्यायालयों की भी निंदा की गई है। रिपोर्ट में लिखा गया है कि पाकिस्तान के न्यायालय भी लोगों को न्याय नहीं दे पा रहे हैं।

यूएस मानवाधिकार परिषद ने अमेरिकी सरकार से स्पष्ट कहा है कि जो सरकारी अधिकारी या संस्था उत्पीड़न कर रहे हैं या दंड देने में असफल हैं, उन पर व्यक्तिगत प्रतिंबंध लगाए जाएं। ईश निंदा कानून समाप्त होने तक जमानत योग्य बनाया जाए-धर्म के आधार पर गिरफ्तार सभी को रिहा किया जाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि धर्म के आधार पर हिंसा फैलाने वाले धर्म गुरुओं को इन घटनाओं का उत्तरदाई ठहराया जाए।

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