देश में बढ़ते हुए कोरोना के मामलों को रोकने के लिए राज्य सरकारें अपने अपने अनुसार नियम बना रही हैं। लॉकडाउन तथा नाइट कर्फ्यू का ऐलान भी हो रहा है। देशव्यापी लॉकडाउन पर भी केंद्र सरकार विचार कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशों पर देश भर में तेजी के साथ वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाया जा रहा है। लेकिन इसी बीच एक ऐसी रिसर्च सामने आई है जिसके द्वारा यह कहा जा रहा है कि सूर्य की किरणों के संपर्क में आने से कोरोनावायरस से होने वाली मौत का खतरा कम हो जाता है। एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो लोग ऐसे इलाकों में रह रहे हैं, जहां सूरज की किरणों या यूवी-ए किरणों का स्तर काफी ऊपर है, वहां यूवी-ए के कम स्तर वाले इलाकों की तुलना कोविड-19 से हो रही मौतों का आंकड़ा भी काफी कम है।
आपको बता दें सूरज की पराबैगनी किरणों का 95 प्रतिशत हिस्सा यूवी-ए रेडिएशन होता है, जो त्वचा में आंतरिक परतों यानी गहराई तक प्रवेश कर जाता है। हालांकि, यूवी-सी रेडिएशन कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी साबित हुए हैं, लेकिन ये तरंगें पृथ्वी की सतह तक नहीं पहुंच पाती हैं। अमेरिका में जनवरी से अप्रैल 2020 तक कोविड-19 से हुई मौतों की तुलना वहां के अलग-अलग यूवी स्तरों वाले राज्यों से की। इसी तरह का अध्ययन फिर इंग्लैड और इटली में भी किया गया था, वहां पर भी कुछ इसी तरह के नतीजे सामने आए थे।
अब तक कई रिसर्च ओं में यह बात तो कही गई है कि विटामिन डी शरीर में हड्डी की मजबूती के लिए अहम है। इस विटामिन का जरूरी नेचरल सोर्स सूर्य की रोशनी ही है। शरीर में उचित मात्रा में विटामिन डी मौजूद होने पर ही शरीर कैल्शियम का अवशोषण कर पाता है। समय तक धूप में बैठने से पिग्मेंटेशन, स्किन एलर्जी, स्किन कैंसर, एजिंग इफेक्ट, कालापन, डिहाइड्रेशन, आंखों की परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वैसे भी अति हर चीज की बुरी होती है।