बैन के आदेश के बाद लगातार बिगड़ रही है महाराष्ट्र की व्यवस्था, अपने घरों को पलायन करने के लिए मजदूर हो रहे हैं तैयार

महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण का कहर सबसे ज्यादा देखा जा सकता है। किसी संक्रमण को काबू में करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने नई पाबंदियाँ शुरू कर दी हैं। इन पाबंदियों के चलते मजदूरों में असमंजस की स्थिति बन गई है और बहुत सारे मजदूर अपने घरों को पलायन करने के लिए तैयार हो रहे हैं।

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प्रतीकात्मक चित्र

देश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने एक बार फिर देशवासियों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। विद्यालय अभी ठीक प्रकार से खुले भी नहीं थे कि एक बार फिर विद्यालयों पर ताला लग चुका है। जिन 11 राज्यों में संक्रमण के मामले सबसे ज्यादा आ रहे हैं वहां के लोग इस समय सबसे ज्यादा परेशान हैं। भारत में कोरोना के सबसे अधिक मामले इस समय महाराष्ट्र में आ रहे हैं। इन्हीं संक्रमण के मामलों को समाप्त तथा कम करने के लिए महाराष्ट्र की सरकार लगातार नई नई पाबंदियां लगा रही है। इन पाबंदियों के चलते वहां के निवासी तथा गरीबों के भीतर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। मजदूरों का यह मानना है कि अब यहां की सरकार लॉकडाउन लगाने वाली है इसीलिए हमें यहां से अपने घर लौट जाना चाहिए। बहुत सारे मजदूर अपने घर को पलायन करने के लिए तैयार हो रहे हैं। छोटे मजदूरों तथा दैनिक रूप से कमाई करने वाले लोगों के मन में यह भय है यदि सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया तो हमारा क्या होगा?

लॉकडाउन के कारण शहर छोड़कर वापस अपने घर जाने वाले मजदूरों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। मजदूरों का कहना है कि जब तक यातायात की सुविधाएं बंद हो तथा ट्रेन और अन्य सुविधाओं को रद्द किया जाए उससे पहले ही हम यह शहर छोड़ना चाहते हैं। पिछले वर्ष की तरह अभी मजदूरों की बहुत बड़ी संख्या तो स्टेशनों पर नहीं पहुंची है लेकिन हां धीरे-धीरे पूरे राज्य से मजदूर अपने घर की ओर पलायन कर रहे हैं।इंडियन एक्सप्रेस में छपी के एक रिपोर्ट के मुताबिक लोकमान्य तिलक टर्मिनस (LTT), कुर्ला में, जहां से उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए ट्रेनें जाती हैं, वहां के अधिकारियों ने कहा कि पिछले दो दिनों में यात्रियों की संख्या में वृद्धि हुई है।

भीड़ प्रबंधन के लिए LTT में तैनात रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के एक गार्ड ने बताया कि वे पिछले दो दिनों से यात्रियों की संख्या में वृद्धि देख रहे थे। हालाँकि, भीड़ पिछले साल राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के मुकाबले हुत कम हैं। यूपी के गोंडा जिले के एक अन्य प्रवासी श्रमिक सोहनलाल ने कहा कि उनके पास न तो कोई पैसा है और न ही कोई काम। सोहन लाल और उनके दो दोस्त अपने गृहनगर तक पहुंचने के लिए कुशीनगर एक्सप्रेस (एलटीटी गोरखपुर) लेने के लिए एलटीटी पहुंचे।

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