बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा झटका, अदालत का समय बर्बाद करने के लिए लगाया गया 20,000 हजार रूपये का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की एक अपील को खारिज करते हुए अदालत का समय बर्बाद करने के लिए बिहार सरकार पर 20000 रुपए का मुकदमा लगाया है। अदालत ने सरकार को आदेश दिया चार हफ्ते के अंदर उच्चतम न्यायालय समूह सी कर्मचारी कल्याण संगठन के पास जमा कराया जाए।

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भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए बिहार सरकार पर 20 हजार रूपये का जुर्माना लगाया गया है।विभिन्न पक्षों के एक मामले पर सहमत होने के बाद पटना उच्च न्यायालय द्वारा मामले का निस्तारण करने से यह अपील जुड़ी हुई थी। न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश के खिलाफ पिछले वर्ष सितंबर में उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की थी।

उच्चतम न्यायालय ने याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि मामले पर कुछ समय सुनवाई के बाद राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने संयुक्त रूप से आग्रह किया कि अपील का सहमति के आधार पर निपटारा किया जाए।पीठ ने कहा,”इसके बाद सहमति के आधार पर निपटारा कर दिया गया। इसके बावजूद विशेष अनुमति याचिका दायर की गई। हम इसे अदालती प्रक्रिया का पूरी तरह दुरुपयोग मानते हैं और वह भी एक राज्य सरकार द्वारा। यह अदालत के समय की भी बर्बादी है।” पीठ ने 22 मार्च के अपने आदेश में कहा,”इस प्रकार हम एसएलपी पर 20 हजार रुपये का जुर्माना करते हैं, जिसे चार हफ्ते के अंदर उच्चतम न्यायालय समूह सी (गैर लिपिकीय) कर्मचारी कल्याण संगठन के पास जमा कराया जाए।”

कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा है कि यह जुर्माना उन अधिकारियों से वसूला जाए जो इस दुस्साहस के जिम्मेदार हैं।उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश की पीठ ने दिसंबर 2018 में एक नौकरशाह की याचिका पर फैसला सुनाया था, जिसमें उन्होंने जून 2016 में सेवा से बर्खास्त करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी थी।

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