बिहार के राजगीर में नेचर सफारी, ग्लास स्काई और आठ सीट वाले रोपवे आम पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। रोपवे में 20 केबिन लगाए गए हैं और एक घंटे में 800 लोग इससे सफर कर सकेंगे। इसका उद्घाटन करते वक्त बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी खुश दिखाई दिए उन्होंने कहा कि इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वन एवं पर्यावरण विभाग के अधीन एक अलग दिन होगा। हम लोग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर के साथ ही पटना, गया, बोधगया, वैशाली, वाल्मीकि नगर, भागलपुर व बांका समेत पूरे राज्य में ईको टूरिज्म के विकास की संभावनाओं पर काम शुरू कर दिया गया है। इससे जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम को सफलता मिलेगी और पर्यटन का भी विकास होगा। इसका उद्देश्य लोगों को खासकर नई पीढ़ी को प्रकृति के प्रति अधिक संवेदनशील बनाना है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि नेचर सफारी में दोनों तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। यह दिनभर खुले रहेगा। लोग टिकट लेकर इसको घूमने आएंगे। आने वाले लोगों को लौटते समय उनके घूमने की तस्वीर भेंट की जाएगी। रात में भ्रमण की इजाजत नहीं दी जाएगी। नेचर सफारी भले ही पर्यटन से जुड़ा है, लेकिन इसे वन एवं पर्यावरण विभाग के ही अधीन रखा गया है, ताकि, यह विभाग प्रकृति को अपनी थाती समझ, इसको बेहतर तरीके से सहेजे। युवाओं को नेचर सफारी की ओर आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा। नेचल सफारी पर तीन साल पहले 19.29 करोड़ की योजना पर काम शुरू किया गया, जिसे समय से पहले पूरा कर लिया गया। नेचर सफारी में शूटिंग के भी इंतजाम किये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने इस उद्घाटन के दौरान यह भी बताया, “नेचर सफारी में ग्लास स्काई वॉक और सस्पेंशन ब्रिज का भी निर्माण किया गया है। लोगों को खुशी हुई है कि देश का पहला ग्लास स्काई बिहार के राजगीर में बना है। नेचर सफारी में लोगों के लिये सभी तरह की सुविधा के इंतजाम किये गये हैं। नेचर सफारी में जीप लाइन के माध्यम से लोग एक छोर से दूसरे छोर तक जायेंगे। जीप लाइन पर साइकिल का भी इंतजाम किया गया है। पर्यटक यहां पैदल और साइकिल से भी घूम सकते हैं। यहां साइकिल का भी प्रबंध किया जायेगा, ताकि साइकिल से भी चारों तरफ के एरिया को घूम सकें। नई पीढ़ी के लोगों के खेलने का भी यहां इंतजाम किया गया है। घूमने आने वाले लोगों के खाने-पीने के लिये भी इंतजाम किये गये हैं। इसका पूरा एरिया आठ किलोमीटर से ज्यादा का है।”