सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं को शुरू को स्थाई कमीशन देने की प्रक्रिया को भेदभाव पूर्ण बताते हुए सेना की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट मूल्यांकन की प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण बताया है।कोर्ट ने कहा कि एसीआर महिला अधिकारियों द्वारा भारतीय सेना के लिए अर्जित उपलब्धियों को नजरअंदाज करता है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जिस प्रक्रिया के माध्यम से महिला अधिकारियों का मूल्यांकन किया गया, वह लैंगिक भेदभाव की चिंताओं को दूर नहीं करता है। पिछले साल कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले में इसे लेकर चिंता जताई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि एक महीने के भीतर महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर विचार किया जाए और प्रक्रिया के तहत दो महीने के भीतर इन्हें स्थायी कमीशन दी जाए। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए ये भी कहा कि सेना द्वारा अपनाए गए मानकों की कोई न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है। कोर्ट ने कहा है कि जब एक महिला सेना में करियर चुनती है, तो कड़ी परीक्षाओं को पार करती है। महिलाओं पर जब बच्चा पालने और अन्य जिम्मेदारियों को संभालने की बात आती है तो उनका जीवन कठिन हो जाता है। हम आपको बता दें पिछले साल7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में केंद्र की दलील को खारिज करते हुए उन सभी महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने को कहा था, जो इस विकल्प को चुनना चाहती हैं।