बिहार के 40000 ट्रांसजेंडर्स को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के मामले में हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को 4 हफ्ते के भीतर एक महत्वपूर्ण फैसला लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट का मानना है कि ट्रांसजेंडर को जब राज्य सरकार सिपाही बहाली में आरक्षण दे रही है तो उन्हें अन्य विभागों में भी नौकरी मिलनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल तथा न्यायधीश ए.कुमार की खंडपीठ ने वीरा यादव ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है।राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता अजय ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ट्रांसजेंडरों को पिछड़ा वर्ग का लाभ दे रही है। अब उन्हें अलग से आरक्षण देने का कोई मतलब नहीं है।
सरकार के वकील का कहना है कि राज्य में ट्रांसजेंडरों की कुल आबादी 40 हजार 827 है। वहीं आवेदकों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कोर्ट के निर्देश पर ट्रांसजेंडरों को पुलिस की नौकरियों में आरक्षण का लाभ दिया गया है, लेकिन राज्य के अन्य विभागों के नौकरियों में आरक्षण का लाभ देने के लिए सामान्य प्रशाशन विभाग की ओर से किसी प्रकार की अधिसूचना जारी नहीं की गई है। जब तक सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से अधिसूचना जारी नहीं की जाती, तब तक राज्य के ट्रांसजेंडरों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।